Monday, 19 June 2017

शराबबंदी की सियासत पर भारी रही कैप्टेन साहिब की रणनीति

ठेके भी बंद रहेंगे--दारू भी मिल सकेगी
लुधियाना//चंडीगढ़: 19 जून 2017: (FIB मीडिया ब्यूरो)::
शराब के नाम पर सियासत करने वालों को ज़मीनी हकीकत समझ लेनी चाहिए कि जब तक शराब सरकारों की आमदनी का स्रोत बनी रहेगी तब तक इसे पूरी तरह से हटाना नामुमकिन जैसा ही होगा।  जहाँ जहाँ पर भी ड्राई एरिया बनाये गए वहां वहां शराब की बिक्री खुलेआम तो बंद  हो गयी की लेकिन उन एजेंटों की संख्या बढ़ गई जो कहते हैं बताया किस ब्रांड की दारु चाहिए आपको अपने कमरे में मिलेगी। इस संबंध में पंजाब सरकार का फैसला शराबबंदी की मांग करने वालों एक बार फिर सोचने का इशारा भी कर रहा है। इनको सोचना चाहिए कि सरकार की आमदन बंद करके ये किसको फायदा पहुंचा रहे हैं..शराब की अवैध बिक्री करने वाले शारब माफिया को?

बता दें कि पंजाब सरकार ने होटल इंडस्ट्री को बड़ी राहत दी है। अब नेशनल और स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे में स्थित होटल, क्लब और बार शराब परोस सकेंगे। सोमवार को कैबिनेट ने इसके लिए पंजाब एक्साइज एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी।  निश्चय ही अब हाई वे पर भी दारू मिल सकेगी। बस एक आर्डर पर जाम टेबल पर होगा वह भी जिस ब्रांड का चाहो।बढ़िया से बढ़िया और महंगी से महंगी। फरक पड़ेगा तो केवल उन लोगों को जो ज़्यादा अमीर नहीं हैं। गाज गिरेगी उन लोगों पर को जो महंगी दारू एफोर्ड नहीं कर सकते। 

इसके साथ ही स्पष्ट करना आवश्यक है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में हुई कैबिनेट की मीटिंग में पंजाब एक्साइज एक्ट की धारा 26-ए में संशोधन को हरी झंडी दे दी गई। जिसके तहत नेशनल और स्टेट हाईवे से 500 मीटर के दायरे में स्थित होटल, बार व क्लबों को पाबंदी से मुक्त कर दिया गया, इसके बाद सभी होटल आदि शराब परोस सकेंगे। लेकिन यह भी तय है कि हाईवे के 500 मीटर के दायरे में कोई शराब का ठेका नहीं होगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस संबंध में कानून बनाने के लिए बिल विधानसभा के बजट सत्र में ही लाया जाएगा। ऐसी हालत में वे लोग मुश्किल में होंगें जो क्लबों में नहीं जा सकते। हो सकता है वे मजबूरी उन्हें किसी दुसरे नशे की तरफ ले जाये। दुसरे नशे शराब से ज़्यादा खतरनाक भी हो सकते हैं। 
शराब की बिक्री से सरकारों की आमदनी पर हमला करके शराब पर सियासत करने वालों को चाहिए कि  वे उन कारणों का पता लगाएं जिनकी वजह से व्यक्ति शराब की तरफ जाना चाहता है। घरों के कलह क्लेश को समाप्त करें। कामकाज के क्षेत्र में कई की घंटों की लम्बी डयूटी को समाप्त करवाएं जिनमें इंसान से जानवर की तरह काम लिया जाता है। अगर सुबह 10 से शाम 5 बजे तक काम करने का सिलसिला है तो क्यों लिया जाता है उनसे सुबह 7 बजे से शाम या देर राततक काम? इतने काम के बाद वे जब तहक कर दो पैग पीना चाहते हैं तो हंगामा बरपा हो जाता है। शराब को हटाना है समाज को स्वस्थ करो शराब या कोई भी और नशा तो अपने आप छूट जायेगा। समाज को जगाना ज़रूरी है।  लोगों को जगाना ज़रूरी है। केवल और केवल सरकार को निशाना बनाना शराब के मुद्दे पर ओछी सियासत ही होगी और कुछ नहीं। लोगों को भड़का कर शराब के ठेकों पर धरने तो लगवाए जा सकते हैं, शराब की बोतलें भी तुड़वाई जा सकती हैं लेकिन शराब की ललक को समाप्त नहीं किया जा सकता। सरकार ने इस सारे झमेले के बावजूद बीच का रास्ता निकाल लिया है जिससे साफ़ ज़ाहिर है कि सरकार को भी शराब की राजनीति करने वाले सियासतदानों के साथ कुशलता से निपटना आता है। 

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