Sunday 3 January 2021

एक सत्य देश में पहले भी ठग चोर बेईमानों का बोलबाला था और आज भी है।

 जितनी किसी देश की आबादी होगी ,उससे ज्यादा भारत देश में बेघर   हैं। 

First investigation Bureau  social media sarvice 



 यह हिन्दुस्तान है भाई जो  कार्य विश्व में कहीं नहीं हो सकता है वह सब कार्य अपने इस देश में संभव है , कोई  माने या न माने है देश के यही फ़साने , आज भी  सीता जलती है पर किसी न  किसी बहाने। 

 दरदर भटकते लोग खानाबदोश  बंजारे जैसे जीवन बसर करने वाले किस हक़ से और कैसे कहें की हिन्दुस्तान हमारा है  ? जिन्हे रहने को जगह नहीं  सर छुपाने को छत क्या एक टीन की चद्दर नहीं वे कह  सकते हैं ? सारा जहाँ हमारा ,, हम बुलबुले या गुलगुले है हिन्दुस्तान हमारा  ?  ?? , आज की सच्चाई है की देश की रजनीति इतनी सडी गली गन्दी हो गई है की शैतान पर भरोसा कर सकते हो  लेकिन नेताओं पर नहीं 

     व्यंगात्मक कहावत है की  शहीदों की चिताओं  पर कैसे लगेंगे हर वर्ष मेले , नेताओं को देश को लूटने से फुर्सत ही कहाँ है। अमन बेंच देंगे चमन बेंच देंगे सड़े  हुए मुर्दे के  कफ़न बेंच देंगे , जागो कलम के   सिपाहियों अगर चुप  रहे तो बचा खुचा तुम्हारा कबर बेंच देंगे। 

     किसी के पास बेमानी , ठगी  लूट खसोट से अरबों रुपये सड़  रहे हैं , किसी के पास सैकड़ो क्या हजारों बीघे एकड़ जमीने पड़ी हैं और कोई परिवार   सौ पचास गज जमीन के लिए दर दर की ठोकरें खाने  मजबूर और हताश। 

     क्या यही है समानता  इस देश  सच्चाई है की वही ब्यक्ति वही परवार गरीब मज़बूरी लाचारी के साथ  जीने को मजबूर है जो  ईमानदार सीधा और मेहनतकश है , फरेबी ,बेईमान , ठगी लूट खसोट करने वाले करोड़ों अरबों रूपए में खेल रहे हैं ,  यह बात है की कुछ अँगुलियों पर गिने चुने ईमानदार भी पड़े हैं।   

     बहुत पहले मनोजकुमार अभिनीत एक फिल्म आई थी  नाम था  बईमान कलम के धनि ने इस  गीत के ऊपर फिल्म  कथानक थी  इस  के जरिए  जो पचास साल पहले था वही  है  खुद विचार कर  सकते हैं >>>>>> बोलो बइमान की जय , न इज्जत की चिंता न फ़िक्र कोई अपमान की जय बोलो बेईमान ,      बइमान  के बिना मात्रे होते अक्षर चार   ब= बदकारी , इ =इर्षा , म से बने मक्कार , न से नमक हरामी समझो   होगए पुरे चार , चार गुनाह मिलजाए होता बइमान तैयार- इनसे आँख मिला ले क्या हिम्मत है शैतान की जय बोलो बईमान की। 

   बेमानी से ही बनते हैं बंगले  बगीचे ,सर के ऊपर पंखे चलते पौन टेल गलीचे , रीत रिवाज धर्म और मजहब रह जाते हैं पीछे , बेमानी सबसे आगे आगे दुनियां पीछे पीछे , मेहनत से तो बने न कुटिया छोडो बात मकान की   जय ,.....  आगे गीत बढ़ते हुए लिखता   है अपने देश का बना कपड़ा मुहर लगी जापान की जय ...  आखरी लाइन में बहुत ही गहरा और सत्य बातों का उजागर  जिसमें अयोध्या  मथुरा बृंदा बन के नाम पर कुछ तथाकथित तिलक लगाए भगवा रंग के कपडे पहने हुए साधुओं की सीन है  जो बिना टिकट यात्रा करना और लोगों के घरों में  घुसकर धर्म के नाम पर लूट ठगी करना , गीत के बोल हैं  बृंदाबन के हम सन्यासी काम है चलते रहना , मौका है  तकदीर बनालो हाथ न मलते  रहना , हाथ की चूड़ी पाऊं की पायल या हो गले का गहना , मार के मन्त्र दुगना करदूँ  माने अगर तु कहना ( सारा गहना रूपए लेकर नकली गढ़री  पकड़ा कर चम्पत कहते जाते हैं ) दो दिन पीछे खोलो लीला देखो भगवान् की जय बोलो बईमान की  

    इस देश का हर सच्चा भारतीय नागरिक प्रत्यक्ष  प्रमाण को झुठला  नहीं सकता देश के  ज्यादा तर क्षेत्रों में शासन  प्रशासन पंगु हो गया है प्रशासन मजबूर है लेकिन ?  देश में पहले भी ठग चोर बेईमानों का बोलबाला था और आज भी है।  इस सत्य को झुठलाया नहीं  सकता  सत्य यही है।