Tuesday 12 June 2018

देखते हैं कौन करता है धक्केशाही--गरजे मनप्रीत अयाली

बेइंसाफी न रुकी तो संघर्ष और तीखा-बडुंदी में अकालीदल का धरना

लुधियाना: 11 जून 2018 (FIB मीडिया के लिए ह्रदय राम की रिपोर्ट):: 
अकालीदल फिर अपने जुझारू रंग में है। कांग्रेस सरकार की तरफ से की गयी कथित धक्केशाही के खिलाफ अकालीदल ने उग्र लेकिन रोषपूर्ण धरना दिया। यह धक्केशाही गुरुशरण सिंह बडुंदी के साथ सरपंची के चुनाव को लेकर की गयी। सत्ता कैसे कैसे घिनौने खेल खेलती है इसकी एक झलक दिखती है यह धक्केशाही। इसके खिलाफ बहुत से सीनियर अकाली लीडर एकजुट हुए। पूर्व विधायक मनप्रीत अयाली ने अकाली कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए स्पष्ट कहा-किसकी हिम्मत है जो हमारे साथ धक्केशाही कर जाये। हम इस तरह की गुंडागर्दी से नहीं डरते। जोशीली ललकार के अंदाज़ में यह बात कही पूर्व अकाली विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने।

वह पक्खोवाल के नज़दीक लुधियाना के ही गाँव बडुंदी में आए हुए थे। यहाँ अकाली दल के रोष धरने को सम्बोधित करते हुए उन्होंने अकाली कार्यकर्ताओं में  एक नया जोश भर दिया। उन्होंने स्पष्ट एलान किया कि काम से कम कम दस लोग भी डांग पकड़ कर तैयार बैठे हों तो किसकी मजाल है जो अकाली शक्ति के सामने ठहर जाए। उन्होंने याद दिलाई की अकाली दल का इतिहास मोर्चों और संघर्षों का इतिहास है। जेल में रहें या बाहर--हमें कोई ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता। इस मौके पर वृद्ध और टकसाली अकाली कार्यकर्ता भी शामिल थे। दोपहर की कड़कती धुप के बावजूद यह धरना सफल रहा। इसकी सफलता ने संकेत दिया कि अकालीदल फिर नई पारी के लिए तैयार है। 
सरपंची के चुनाव में हुई कथित धांधली के मुद्दे को लेकर गांव बडुंदी में यह धरना दिया गया था। यह कथित धक्केशाही सरपंची के चुनाव में गुरशरण सिंह बडुंदी के साथ की गयी। श्री अयाली ने याद दिलाया की अकाली दल की तो जीवन शैली ही संघर्षों से भरी है। हमने अनगिनत मोर्चे लगाए और जीत हासिल की। हम आज भी उसी तरह मज़बूत हैं। किसी ने हमें कमज़ोर समझ कर धक्केशाही की तो नतीजे अच्छे नहीं होंगें। गौरतलब है की इस धरने में बच्चों से ले कर बज़ुर्ग लोग भी जोशो खरोश के साथ शामिल हुए। दोपहर की कड़कती धुप में भी न तो किसी के चेहरे पर कोई घबराहट थी और न ही चिंता। सभी के चेहरों पर जोश की चमक थी। इस मौके पर सरपंची चुनाव में हुई धक्केशाही के साथ साथ 2019 और 2022  के चुनावों की जीत का भी संकल्प दोहराया गया। लगता था इस धक्केशाही ने अकालीदल को अपना चुनाव अभियान अभी से चलने का मौका प्रदान कर दिया। 
धरना जोशीला लेकिन शांतिपूर्ण था। किसी भी वर्कर ने मंच से आये इशारे के बिना एक नारा तक भी नहीं लगाया। इस अवसर पर पानी और चाय का पूरा प्रबंध था। सब कुछ बहुत ही अनुशासित ढंग से चल रहा था। कोई भी अकाली नेता अपने निश्चित समय से ज़्यादा नहीं बोला। सभी ने अपने अपने ढंग से इस मुद्दे पर चर्चा की। तकरीबन सभी वक्ताओं इ भाषण इन चेतावनी की सुर स्पष्ट थी। कांग्रेस पार्टी के साथ साथ उन उच्च अधिकारीयों को भी याद दिलाया जा रहा था की अगर उन्होंने नियमों से हट कर कुछ किया तो अकाली सरकार आने पर उन्हें इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा। यह चेतावनी बहुत ही गंभीरता से दोहराई गयी।  
इस मौके  पर लोकसभा के पूर्व स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल के कहने पर सभी कार्यकर्ता श्रद्धा और शांति से मूलमंत्र का जाप करते रहे। श्री अटवाल ने कहा की हम इसी तरह एक सप्ताह तक शांतिपूर्ण संघर्ष करेंगे। अगर प्रशासन को समझ नहीं आई तो फिर बड़ा एक्शन भी किया जायेगा। वक्ताओं ने कहा की सरपंच गुरुशरण सिंह के साथ की गयी धक्केशाही कोई मामूली बात नहीं है। आज अगर इसे सहन कर लिया गया तो फिर कांग्रेस सरकार के हाथ और खुल जायेंगे। अन्य लोगों के साथ भी यही होगा। इस लिए हम इसे यहीं रोकेंगे। हम सरकार की इस धक्केशाही को बढ़ने नहीं देंगें। इस अवसर पर अकाली वर्करों का जोश देखने वाला था। 
पंचायती चुनाव की धांधली के खिलाफ आयोजित इस धरने में सभी वर्गों के लोग शामिल हुए। इस अवसर महिलाओं ने भी बढ़ चढ़  कर भाग लिया। इन महिलाओं में जहाँ अकाली कार्यकर्ताओं और सरपंचों के परिवारों की संभ्रांत महिलाएं थीं वहीँ गाँव की वृद्ध औरतें भी बढ़चढ़ कर शामिल हुईं। इन महिलाओं ने इस धक्केशाही के खिलाफ ज़ोरदार स्यापा भी किया। पुतलों को जूते मारे और आग लगाई। जब पुतलों का सर फुट गया तो बहुत हास्यास्पद माहौल बना। यह सिर मिटटी के छोटे मटकों के बने हुए थे।  
छोटे बड़े सभी अकाली इस मौके पर हाज़िर रहे। गर्मी से घबरा कर एक भी वर्कर इधर उधर नहीं हुआ। इस धरने में लोकसभा के पूर्व स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल, पूर्व विधायक मनप्रीत सिंह अयाली, वरिष्ठ अकाली नेता दर्शन सिंह शिवालिक, रंजीत सिंह तलवंडी और पीड़ित सरपंच गुरुशरण सिंह सहित बहुत से अकाली नेता शामिल थे। 

Saturday 9 June 2018

भारतीय संविधान और भारत देश की संक्षिप्त जानकारी।


डॉ  .  भीमराव अम्बेडकर   किसी एक जाति  के लिए नहीं पुरे भारत वर्ष के प्रेरणा दायक , श्रद्धा के पात्र हैं। 
  Dr. Bharat : Director F.I.B. Media Intelligence 

  क्या आज़ाद भारत के लिए जिस संविधान का निर्माण हुआ देश के लोग उसका कितना पालन कर रहे हैं ? 
नेता से लेकर अभिनेता तक , स्वाभिमान से लेकर ईमान तक , धर्मनीतिग्य से लेकर राजनीतिग्य तक , संतरी से लेकर मंत्री तक , शासन  लेकर प्रशासन तक , ग्राम सभा से लेकर विधानसभा तक, राजयसभा से लेकर लोकसभा तक , न्याय मंत्री से लेकर न्यायलय तक  हर तरफ संविधान की धज्जियाँ उड़ रही है।  और हम लोग जातिवाद , नक्सलवाद , सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद , बड़ी जाती से लेकर छोटी जाति तक  नफरतवाद के चक्कर में खुद अपना घर अपना वतन का बेड़ागर्क कर रहे हैं, तो क्या हम अपने आपको एक इस देश का सच्चा नागरिक सच्चे देश भक्त कहलाने के  हकदार हैं ? याद रखें  देश सलामत है तो आप और आपका परिवार आपका धर्म सलामत है। वर्ना  प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरुरत नहीं होती , ईरान , इराक ,सीरिया  , जार्डन ,अफगानिस्तान जैसे मुल्कों को देख कर शिक्षा ले वार्ना कहावत प्रसिद्ध है की धोबी का.....  न घर का न घाट  का ?   इतनी वक्त न हिंदू धर्म खतरे में है , न मुस्लिम धर्म खतरे मै है , न सिख  न ईसाई खतरे में है  अगर खतरे में है तो अपना वतन भारत देश खतरे में है। 
       लुधियाना  : प्रस्तुति  >  ह्रदय राम - FIB Media  : मौजूदा समय में भारत  देश  का क्षेत्र फल लगभग 32  लाख 87  हजार  265  किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। विश्व का 2.42 प्रतिशत जमीनी हिस्सा है और विश्व का सातवां बड़ा देश है। भारत में 49  हजार से ज्यादा पेड़ पौधों   और    81  हजार 251   जानवरों की प्रजातियां पेयी जाती हैं।  
        जिस संविधान के छत्र छाया में हम रहते हैं  उसकी जानकारी  जिसे हर भारतीय नागरिक को जानना जरुरी है। 
             1 :   भारतीय संविधान के लिए पहली संवैधानिक सभा की बैठक  9 दिसम्बर  1946  को हुयी थी। 
            2 :   भारतीय संविधान का अधिनियम 1947  में लागू किया गया।            3  :   राष्ट्रीय झंडे को 22 -07 - 1947  को  हुयी संवैधानिक सभा  में स्वकृति  प्रदान की गयी। 
         4  : यह जाहिर है की भारतीय संविधान  के निर्माण में  डाक्टर  भीम राव अम्बेडकर  जी का उल्लेखनीय योगदान है। 
         5 : 1947  में देश के  विभाजन के बाद संविधान सभा प्रभुत्व संम्पन 
हो गयी  जिसके अध्यक्ष डाक्टर राजेंदर प्रसाद जी थे।   
        6 :    भारत की जनता की तरफ से   26  जनवरी  1947 के समय भारत की स्वतंत्रता  के प्रतीक  संविधान कोको स्वविकार किया  और 26  जनवरी  1950  को लागु किया गया। 
        7  :    भारत के संविधान के निर्माण  ( पूरा करने )में   2  वर्ष  11 महीने  और  18  दिन का समय लगा था । 
       8  :  भारत के संविधान को  22  भागों  व 12  अनसूचियों   बाटा  गया। 
       9  :   संविधान को तैयार करने  में  प्रथम  संवैधानिक सभा के  अध्यक्ष  डाक्टर   राजेंदर प्रसाद को नियुक्त किया गया था। 
       10  : बाद में संविधान के प्रारूप समिति  के अध्यक्ष  डॉक्टर  भीम राव  आंबेडकर  जी  को नियुक्त किया गया।  
      11  :  संविधान को पूर्ण करने में देश  के कोने कोने से  381  विद्वान्  प्रतिनिधियों  ने  अपना  बहुमूल्य योग्यदान दिया है। 

      12  :  याद रखने योग्य जो जरुरी है भारतीय संसदीय शासन  प्रणाली  ब्रिटिश  ली गयी , मौलिक अधिकार  संयुक्त राज्य अमेरिका से , नीति - निदेशक तत्व आयरलैंड से , संघवाद ,प्रस्तावना ,भाषा  ऑस्ट्रेलिया  से ,  आपातकाल में  अधिकारों स्थगन जर्मनी से ,  गणतंत्र की    स्थापना  फ्रांस से ,   और संविधान संसोधन  की प्रणाली  दक्षिण अफ्रीका से ली गयी , इस प्रकार विदेशी  कानून से लिया सहयोग से  तब   हमारा  भारत का संविधान पूर्ण हुआ।  हमें डॉ. भीम राव आंबेडकर जी के साथ साथ  देश के  उन 381 विद्वानों  का भी सम्मान करना चाहिए जिन लोगों ने  रातदिन अथक प्रयास कर संविधान को पूर्ण करने में अपना योगदान दिया। 

Sunday 3 June 2018

देश को बढ़ने में तीन की शान ,फौजी ,मजदुर और किसान।

आज मजदुर दुखी, आज किसान दुखी, कहीं फौजी  जवान  दुखी , इन सबका  कौन है जिम्मेदार ?     
Dr. Bharat :- First Investigation Bureau  ::-  Media Intelligence Service 
आज पूरे देश में जिस तरह के हालात है ऐसे हालत आज़ाद भारत में कभी नहीं देखे गए। अगर कोई सुखी हैं तो या तो भ्रष्ट नौकरशाही , या तो  कुछ पूंजीपति धनाढ्य , या तो सड़ीगली राजनीतिक नेता राजनीत करने वाले जो सरेआम देश के साथ बलात्कार कर रहे हैं।
      हम पुरे देश की स्थिति पर विचार  बाद में  करेंगे  इतनी वक्त सिर्फ पंजाब के किसानो की हालत पर ही बात कही जाएगी।  पंजाब में 35 लाख 55 हजार रेजिस्टर्ड किसान हैं जिसमें 11 लाख के करीब वह किसान हैं जिन्हे गरीबी रेखा से नीचे माना  गया है। अन्य जो  छोटे मोटे  जो अपने लिए ही सब्जी आनाज पैदा करते हैं वह अलग हैं। पिछले 5 सालो में ही  4400  किसान जीवन के जद्दोजेहद में जिंदगी  जंग हार चुके हैं।  कर्ज और परेशानी की बोझ से 2010  से लेकर 2017  तक 5591  किसानों ने अपनी जान देदी।  
गरीब    रोटी ,कपडा और मकान के लिए जद्दो जिहाद में दुखी परेशांन  , फौजी कभी खाने के लिए  कभी सामरिक साजोसामान होते हुए पत्थर की मार से दुखी  परेशांन  , किसान अपने खेत खलिहान की मार से दुखी परेशान।  अगर सुखी कोई है तो वो हैं राजनितिक मंत्री नेता जैसे लोग , मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ और सरकारी आंकड़ों  के मुताबिक राजनितिक नेताओं की जायदाद  रकम 252  % प्रतिसत तक बढ़ी है। 
     राणा की सम्पति रकम 100  करोड़ से ज्यादा बढ़ी है , जहाँ  राणा गुरजीत सिंह की 2012 , में 68  करोड़  48  से थोड़ा ऊपर थी  वहीँ 2017  इतना इजाफा हुआ की  ?  148  % प्रतिसत बढ़कर 169  करोड़  89 लाख  60  हजार रूपए हो गयी  ? ।    >  सुन्दर शाम अरोड़ा  जी की  सम्पति  2012  में....  21 करोड़  76  लाख 84  हजार थी , वहीँ 2017  में बढ़कर  105  % प्रतिसत की बढ़ोतरी हुयी  यानि की 44  करोड़  60  लाख  75  हजार रुपये हो गयी  ?.। 
     सुनील झाखड़ की  2012 ...  में 6  करोड़  ८४  लाख 6753  रूपये थी वहीँ  2017  में  252  % प्रतिसत की बढ़ोतरी होकर    24  करोड़  5  लाख  36 ,788  रुपये की बढ़ोतरी  हुयी  ? ,
     विक्रम मजीठिया  जी की  संपत्ति  जहाँ  2012 ...  में 11  करोड़  21  लाख  18 हजार 806  रुपये  थी।  वहीँ  2017  में   125  % प्रतिसत  बढ़कर 25  करोड़ 22  लाख  80  हजार 202  रुपये  हो गयी ,    यह सब तो घोषित  सम्पति है  अघोषित परदे के पीछे कितनी अवैध सम्पत्ति हैं  वह तो गोपनीय ही रहेगी ।  यही हाल हर राजनितिक  MP, MLA   की मानी जा सकती है। 
       सवाल यही उठता है कि  देश की हर राह हर मुश्किल  को आसान करने वाले  खून पसीना बहा कर  बड़ी बड़ी गगन चुम्बी इमारते  खड़ी करने वाले , बड़े बड़े  पुल  दुरूह सड़के बी बनाने वाले खेतों में खून पसीना एक करने वाले हर छोटे बड़े काम करने वाले  मजदुर  दर -दर  की ठोकरे खाकर  टूटे फूटे कच्चे मकानों में सर्दी गर्मी झेलकर जीवन  गुजारने को  भूखे रहने को  भूखे मरने को मजबूर  बिमारी में बिना दवा के तड़पने  और मरने को मजबूर। 
        दूसरी तरफ पुरे देश में  कोई ही किसान होगा जो खुश हाल होगा  वरना  ज्यादातर किसान कहीं न कहीं  कर्ज में डूबा हुआ है।   सरकारी आकंड़ो के मुताबिक पंजाब के हर किसान पर   सात  (7 ) लाख से ज्यादा कर्ज चढ़ा हुआ है।  ऐसे ही हाल लगभग पुरे देश के किसानो का है।  
      रह गयी  फौजी जवानो की परेशानियां  आए दिन कोई न कोई   शोशल मीडिया पर  कोई विडिओ  वायरल होती है ?  +  ?. .  की दहशत गर्दी  फौजी जवानो पर  पत्थर बरसाते नजर आते हैं , कितने फौजी को  भीड़ द्वारा मारा पीटा जाता है  कितने अपंग हो गए  कितनो ने दम  तोड़ दिया  और हमारे लीडरों  हमारे नेताओं का  हुक्म बयान होता  है कि  भले ही तुम्हारे साथ कुछ भी हो  लेकिन  तुमने जवाबी करवाई मत करना  ऐसा सरफिरा हुक्म होता है।   क्या किसी नेता लीडर  के बच्चे  सुरक्षा बालों में सेना में हैं  ?,   क्या किसी नेता के बच्चे  कभी  मेहनत  मजदूरी किये है  ? , क्या किसी नेता के बच्चे किसानी का काम किये है  ? ,  अगर देखा जाये तो पुरे देश में  किसी भी नेता लीडर के बच्चे  ऐसे किसी भी कार्य में नहीं मिलेंगे।   बात यही होती है की    ओ क्या जाने पीर  परायी  जिसके पैर न फटी बवाई।  
      अब भी वक्त है की देश के कर्णधारों  देश के जिम्मेदार नेताओ  सभी राजनितिक दलों को  चेतावनी है की समय रहते  व्यवस्था  सही करो , व्यवस्था  बदलो  वार्ना   वही हाल तुम्हारा हो सकता है  जो पकिस्तान के नेताओं का हो रहा है   देश माफ़ कर सकता है लेकिन  समय वक्त  तुम लोगों को माफ़ नहीं करेगा। 
   



Saturday 2 June 2018

तीनों सेनाओं के पास हथियारों की कोई कमी नहीं--रक्षामंत्री

रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने लुधियाना के मीडिया से की वार्ता 
लुधियाना: 1 जून 2018: (प्रदीप शर्मा//FIB मीडिया):: 
सरकार की तरफ से सेना की तरफ ध्यान न दिए जाने के विपक्षी आरोपों की आज यहाँ रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने एक ही ब्यान से धज्जियां उड़ा दीं।  पत्रकारवार्ता में उन्हने स्पष्ट कहा कि देश की तीनों सेनाओं के पास हथियारों की कोई कमी नहीं है। वह यहाँ के महाराजा रीजेंसी में हुए एक विशेष आयोजन में मीडिया से बात कर रहीं थीं। मोदी सरकार की चार साल की उपलब्धियों को तथ्यों सहित बताने के लिए पहली बार लुधियाना पहुंची सीतारमण ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने पहली बार तीनों सेनाओं के वाइस चीफ को हथियारों की खरीद के अधिकार दे दिए हैं। इससे सेना के हाथ मज़बूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि तीनों सेनाओं को फंड मुहैया करवाया गया है और वह अपनी जरूरतों के अनुसार हथियारों की खरीद कर रहे हैं। हथियारों के मामले में भी मज़बूत बनने की यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।