Sunday 27 May 2018

न्याय के लिए दरदर भटकते लोग ? जाएँ तो जाये कहाँ।


कौन है जिम्मेदार , कार्यपालिका , विधायिका या खुद न्यायपालिका ?
F.I.B. : - Media Information Service

इस महत्व पूर्ण लेख पर हर सच्चे भारतीय नागरिकों को गंभीरता के साथ विचार कर पुरे देश में जनजागृति  लाना ही समय की मांग है, देर  हानिकारक होगा । 
मानव अधिकार सुरक्षा परिषद् ( H.R.P.C.)द्वारा प्राप्त सुचना के मुताबिक हर रोज अदालतों में करीब 14 करोड़ लोग पेशी के लिए घरो से निकलते हैं / सुबह से शाम तक अदालतों में  भ्रष्टाचार और धक्के सहते हैं / कभी वकीलों के पीछे तारीख पूछना, कभी उनके मुंशियो के पास डाक्यूमेंट्स के लिए परेशान होना, कभी नक़ल, सम्मन के नाम पर कर्मचारियों को रिश्वत के नाम पर भ्रष्टाचार सहना यह रोजाना के हालात हैं / यहाँ तक कि जज साहिब द्वारा भी आम जनता को बहुत बार  डांट फटकार सहनी पड़ती है / अगर अदालतों में एक आदमी का खर्चा करीब 100 रूपये भी लगाया जाये तो इसका हिसाब 1400 करोड़ रूपये प्रतिदिन बैठता है / यह 1400 करोड़ रूपये देश का नुक्सान है / इसमें रिश्वत, अवकाश, जजों और कर्मचारियों की सैलरी को जोड़ा नही गया है /
अदालतों के लेट लतीफी और भ्रष्टाचार के चलते डर के मारे कई लोग तो अदालत का नाम सुनकर ही डर जाते हैं / इन्साफ समय से न मिलने के कारण देश भर में आतंकवाद, नक्सलवाद,जुर्म और भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है / हमारा मानना है इन्ही सब कारणों से लोग अदालतों में जाने से ज्यादा रिश्वत देकर या गुंडों से अपना काम करवाना  ज्यादा बेहतर समझते हैं /
हिंदुस्तान में 90 प्रतिशत जनता को यह भी नही पता कि वो खुद अपने केस की पैरवी कर सकते हैं / अपने केस की पैरवी के लिए उन्हें वकील की जरूरत भी नही है / अफ़सोस है कि जो लोग अपना केस खुद लड़ते हैं उनको जजों द्वारा उलझाया और डराया जाता है / जिससे जनता का विश्वास धीरे धीरे अदालतों और जजों पर से उठता जा रहा है /
करीब हर पहले और तीसरे शनिवार को वकीलों द्वारा हड़ताल रहती है / जिसके कारण लोग तकलीफ सहते है और बिना इन्साफ के ही तारीख लेकर घर चले जाते हैं / इसका जिम्मेदार कौन है ? जज साहिबान के अदालतों में बैठने के बावजूद वकील केसेस में हाजिर नही होते / जो कि सीधा सीधा अदालतों की अवमानना और आम जनता के साथ अन्याय है /
कुछ जज साहिबान द्वारा अदालतों के क्लास तीन और चार कर्मचारियों से भी अन्याय पूर्ण व्यवहार और अत्याचार किया जाता है / जिसके कारण कई कर्मचारियों ने ख़ुदकुशी भी कर ली / परन्तु जज साहिबान पर कोई ठोस कार्यवाही नही होती / जज साहिबान द्वारा क्लास चार के कर्मचारियों से अपने घरो में गैर कानूनी तरीके से प्राइवेट काम लिए जाते हैं जैसे बर्तन धोना, पोचा लगाना, कपडे धोना, कार धुलवाना, खाना बनवाना आदि / जो सीधा सीधा भ्रष्टाचार है / क्योंकि जनता के खून पसीने की कमाई सैलरी के रूप में उन कर्मचारियों को अदालत में काम करने के लिए दी जाती है / जज साहिबान के घरो में होम peon की सुविधा होने के बावजूद इस पर कोई ठोस कार्यवाही नही हुई है / उनसे नौकरी से निकालने, ACR ख़राब करने और नोटिस देने की धमकियाँ देकर ऐसे घरेलू काम लिए जाते है / 
भाई भतीजावाद से भी अदालते पीछे नही हैं / अदालतों में जजों और कर्मचारियों में भाई भतीजावाद में भर्तियाँ की भरमार हैं /अगर स्वतंत्र जांच करवाई जाये तो दूध का दूध पानी का पानी सामने आ जायेगा / न जाने कितने जज साहिबान के बच्चे, भाई भतीजे रिश्तेदार आपस में अदालतों में जज के रूप में काम करते हैं / दूसरी तरफ अदालतों में कार्य कर रहे जज साहिबान के बच्चे और रिश्तेदार भी वकीलों के रूप में अदालत में कार्य करते हैं / जिसे आप अंकल जज सिंड्रोम के नाम से भी जानते हैं / सब कुछ जानते हुए भी सब खामोश हैं /
हमारा मानना है कि जब निचली अदालतों के फैसलों को ऊँची अदालतों द्वारा पलटा जाता है तो फैसला करने वाले जजों का नार्को टेस्ट करवाया जाना चाहिए / देश भर की अदालतों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है यह बात किसी से छुपी नही है /
         जैसे :-पंजाब में जजों की भर्ती में पेपर लीक करके करोड़ो रूपये के वारे न्यारे करने के केस सामने आये / जैसे रवि सिधु काण्ड, और अभी अभी पंजाब और हरयाणा हाई कोर्ट के जज बलविंदर शर्मा (रजिस्ट्रार रिक्रूटमेंट) पेपर लीक काण्ड / मधु कौड़ा रिश्स्वत काण्ड में करीब अरबो रूपये का भ्रष्टाचार हुआ लेकिन सजा सिर्फ 3 साल / केस निपटने में कई साल लगे / दूसरी तरफ एक मामूली छीना झपटी के केस में सजा अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है / हर बार गरीब को ही सजा ज्यादा भुगतता है /यह कानूनी भेदभाव क्यों ? 
             लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले केस में बरामदगी बहुत मामूली दिखाई गयी / और अब भारी जुर्माने किये जा रहे हैं / इन केस में सरकार के और पार्टी के खर्चे का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है / जज हेमंत गोपाल रिश्वत आरोप, निर्मल यादव जज का केस, जस्टिस हेमंत गुप्ता के परिवार पर आरोप और 1029 वकीलों द्वारा जस्टिस हेमंत गुप्ता की impeachment के लिए एप्लीकेशन देना अदालती भ्रष्टाचार को दिखाते हैं /
          बोफोर्स तोप घोटाले में करीब 62 करोड़ के घपले का आरोप था जिसमे सीबीआई  ने एक RTI के जवाब में माना है के करीब 525 करोड़ रूपये तो केस के ऊपर खर्च हो चुका है / और अभी सजा किसी को नही हुई / नतीजा जीरो है / जिसके कारण खरबों रूपये का राजनितिक और आर्थिक नुकसान देश को हुआ /
         अभिनेता सलमान खान के एक्सीडेंट केस में निचली अदालतों द्वारा   जरूरत से ज्यादा देरी दिखाते हुए उसका फैसला 13 साल बाद आता है / और इस दौरान महत्वपूर्ण गवाहों की रहस्यमय मौत पर अदालत ने संज्ञान नही लिया / और जब फैसला आया तो हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने में नियमो को ताक पर रख कर जरूरत से ज्यादा तेजी दिखाई गयी / बिना जजमेंट के कॉपी के उसे कुछ घंटो में जमानत मिल जाना अदालतों के काम पर सवालिया निशान है / 
        पांच लोगो के गैर इरादातन हत्या के मामले में बरी होना और एक हिरन के मारने पर पहले पांच साल और फिर तीन साल की सजा होना साबित करता है कि इंसान की जान और इंसानियत की कीमत कितनी कम है /
         जय ललिता केस में भी देश की सबसे बड़ी बरामदगी हुई / निचली अदालत  द्वारा सजा होना और फिर हाई कोर्ट द्वारा बरी होना / और बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा साथी को सजा होना समझ से बाहर होता है कि किस जज ने फैंसला सही किया किसने गलत ? किसी भी जज की जवाबदेही तय नही की गयी / जो सीधा सीधा जजों के काम करने के तरीके पर सवालिया निशान है ?
           आज भी अदालत को इन्साफ का मंदिर कहा जाता है परन्तु अक्सर देश के सबसे बड़ी अदालत मानयोग सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस और हाई कोर्ट और निचली अदालतों के जज  साहिबान पर भ्रष्टाचार के आरोप देश की जनता के मन में जजों की ईमानदारी पर सवाल पैदा करते हैं / जिसके सबूत श्री प्रशांत भूषण वकील साहिब द्वारा दिए गये हैं /
           मौजूदा हालातों में देखा गया है कि देश के जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप के बारे में पूछने पर बड़े और नामी वकीलों जैसे श्री प्रशांत भूषण आदि वकीलों को न केवल अपमानित किया जाता है बल्कि उन पर भारी जुरमाना लगाकर डराया भी गया / ताकि भविष्य में जजों के भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई आवाज न उठा सके / जो आवाज उठाते हैं उनपर contempt ऑफ़ कोर्ट के केस लगा दिए जाते हैं / यहाँ तक कि अदालत के कर्मचारी हरमीत सिंह पर भी अदालतों के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर contempt ऑफ़ कोर्ट का केस चल रहा है / जस्टिस कर्णन, जज राजेंदर कुमार श्रीवास, वकील और आम जनता आज contempt ऑफ़ कोर्ट के केस के डर के कारण अदालती भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नही उठाते /

सुधार :-
          अदालत में सुनवाई के दौरान ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग शुरू की जाये जिससे अदालतों में फैली कमियों और हर तरह के अदालती भ्रष्टाचार को तक़रीबन 70% तक कम किया जा सकता है /
जो लोग बिना वकील के अदालतों में खुद (in person) अपना केस लड़ते हैं उनको प्रोत्साहित किया जाना चाहिए / अक्सर देखा गया है कि जब कोई अपना केस खुद लड़ता है तो उसे कुछ  जज और वकील साहिबान द्वारा डराया धमकाया जाता है /
           अदालतों में लागू CrPC, CPC, IPC अंग्रेजो द्वारा 1860 में लागू की गयी थी / वर्तमान परिस्तिथियों के अनुसार इनमे बहुत बड़े पैमाने पर बदलाव और सुधार किया जाना चाहिए / समयानुसार कानूनों में बदलाव भी होने चाहिए /
         जजों और वकीलों की जवाबदेही तय होनी चाहिए / ताकि भ्रष्टाचार पर रोक लगायी जा सके / इस काम में इमानदार वकीलों और जज साहिबान को आगे आना चाहिए / वकीलों द्वारा ली जाने वाली फीस की रसीद भी मुवक्किलों को देने का प्रावधान होना चाहिए /
         न्यायिक केसो में एक समय सीमा निर्धारित करनी चाहिए / देरी होने पर देरी का स्पष्ट कारण  दिया जाना चाहिए / ताकि लोगो का ख़त्म होता विश्वास अदालतों पर बना रहे / तारीख पर तारीख सिस्टम में कानूनी बदलाव होने चाहिए /
         ह्यूमन राइट्स की रक्षा जमीनी स्तर पर होनी चाहिए / मानवाधिकार का व्यापार बंद होना चाहिए / ह्यूमन राइट्स कमीशन में राजनितिक और नाकारा व्यक्तियों की नियुक्ति बंद की जाये /
        जात पात और धर्म की जगह प्रेम और भाईचारे के दंगे होने चाहिए / ताकि लोग प्यार से एक दुसरे के साथ रह सके /
        हर सरकारी विभाग में पब्लिक द्वारा मोबाइल रिकॉर्डिंग को कानूनी मान्यता दी जाये / सरकारी कर्मचारी को भी अधिकार दिया जाये कि वो भी क्रॉस रिकॉर्डिंग करे ताकि कोई मतभेद या एडिटिंग की सम्भावना खत्म हो जाये / मौखित आदेश की बजाय लिखित या मोबाइल रिकॉर्डिंग आदेश जारी किये जाये /
पुरुष आयोग की स्थापना की जाये /
अदालत में केस झूठा साबित होने पर जांचकर्ता पुलिस, शिकायतकर्ता और झूठी गवाही देने वालो पर सख्त कार्यवाही का प्रावधान किया जाये /
मानयोग सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस श्री टी एस ठाकुर ने बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष को आदेश दिया था कि जून 2017 तक सभी वकीलों की डिग्रीयों की जाँच करके रिपोर्ट दी जाये / उस आदेश की अतिशीघ्र जांच शुरू करवाई जाये और जिन वकीलों और जज साहिबान की डिग्री जाली पाई जाती है उनपर कार्यवाही की जाये /
         ग्राम न्यायालयों की स्थापना मोहल्ला और पंचायत स्तर पर की जाये ताकि न्याय हर व्यक्ति तक आसानी से पहुँच जाये / और सस्ता न्याय सभी को समान रूप से मिल सके /
जजों की नियुक्ति पर्याप्त मात्रा में की जाये /
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA)और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) अपना मूलभूत काम करें / अन्यथा (NALSA) राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बंद किया जाये ताकि आम जनता के लाखो करोड़ो रूपये की बर्बाद न हों ? राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA)और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के संरक्षकों (Patron-in-chiefs)  को पीड़ितों से सीधा मिलने का प्रबंध करें / 
          F.I.B. + फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो देश के  आम नागरिकों के ध्यान में यह लाना चाहती है की  कुछ राजनितिक स्वार्थ , कुछ धनाढ्य फायदे हेतु , कुछ  देश की जनता के नाम पर  लगभग सौ बार  संविधान का संसोधन किया जा चूका है  तो क्या इस संसोधन का फायदा देश के नागरिकों को हुआ भी है ?  इसपर भी  देश के पढ़ेलिखे  संभ्रांत लोगों को भी  आवाज उठाना राष्ट्र हित में ही होगा। 

HUMAN RIGHTS PROTECTION COUNCIL
FORUM FOR FAST JUSTICE, LUDHIANA
JUDGE ADVOCATE PIDIT ORGANISATION
DARK SIDE OF INDIAN JUDICIARY

Wednesday 23 May 2018

बड़े पैमाने पर आतंक के ट्रेलर की सच्ची कहानी तो नहीं ?

अति संवेदनशील क्षेत्र  सरायमीर क़स्बा तबाह होने से बचा कैसे ?। 
मीडिया इंटेलिजेंस की खास रिपोर्ट  
F.I.B. Media  Service : Bablu Yadav ,  Akhilesh jaiswal  
आजमगढ़  पहले से ही आतंकवादगढ़ के नाम से बदनाम , उपर से यहाँ के कुछ लोग बंदरी सेना ( 15 साल से लेकर 20 - 22  साल के युवाओं को ) आगेकर सीधे पुलिस प्रशासन से टक्कर लेना,  सरायमीर थाने  पर हमला पथराव , पुलिस चौकी पर हमला तोड़फोड़ कर आग लगाना और दंगा फ़ैलाने की कोशिश ? हिन्दू नेता पर प्राणघातक हमला , यह सब क्या दर्शाता है ? कौनसी देशी विदेशी शक्तियों के इशारे पर यह सब हुआ  है और हुआ , कौन है परदे के पीछे  राष्ट्र हित में पर्दाफ़ाश करना जरुरी। ( यह भी सत्य है की कसबे के अधिकांश लोग हिन्दू मुस्लिम  साथ मिलकर व्यापार दुकानदारी भी करते हैं लेकिन  इन सबको  दूर करने वाले , इंसानियत के दुश्मन कौन हैं  )
                    गुमराह मुस्लिम  दहशत गरदियों के पीछे कौन सी ताकतें ?
                    थाने में SDM, C.O, SO, फ़ोर्स के रहते हमला ?
                   पुलिस थाने पर हमला तोड़फोड़  पथराव ? 
पुलिस चौकी पर तोड़फोड़ आगजनी ,? 
संभ्रांत हिन्दू नेता पर जानलेवा हमला?
दो चार पहिया  वाहनों पर पथराव?
देश समाज विरोधी भड़काऊं नारेबाजी ? 
इनसबके पीछे किसकी शाजिसे ?
हिन्दू मुस्लिम साम्प्रदाईक दंगा भड़काने का प्रयास  
किस मुल्क के दिशानिर्देश शह पर यह सब हुआ रिहर्शल। 
इसकी गोपनीय जांचकर  सार्वजानिक करना जरुरी है , क्योंकि  यह क़स्बा कई बार विवादों के घेरे में पड़ चूका है।  भविष्य में ऐसी खुरापात न हो यहाँ के लोग  सुख शांति चैन से रहे।  हर समाज में कुछ गंदे विचारधारा के लोग होते हैं ? पर सरायमीर के आलावा पुरे देश में  क्यों मुस्लिम समाज पर ही क्यों उँगलियाँ उठती है  क्या  मुस्लिम समाज के अग्गरणीय  नेता , धार्मिक गुरु , पढ़े लिखे संभ्रांत  बुद्धजीवी  लोग इसपर  गहराई से विचार किये  ? , इसपर  समाज के  बुद्धजीवियों  धार्मिक गुरुओं  को  कोई न कोई सार्थक रास्ता निकलना  पुरे देश के हर समुदाय के लिए हितकर रहेगा।  हम सभी  हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ईसाई , बौद्ध , जैन   सबके सब एक खून एक देश के निवासी हैं , खली पंथ  अलग  हैं। 

        इतिहास गवाह है जब जब भी बड़े से बड़ा भयानक दंगे फसाद , खून खराबा  युद्ध तबाही हुयी है उसकी शरुआत छोटे से गड़बड़ी  कारण की वजह से हुयी है. लेकिन  यह तो एक संयोजत तरीके से हुआ  बहाना भले ही पैगम्बर साहिब के खिलाफ टिपण्णी से जोड़ा जा रहा है ( यहाँ यह भी सत्य है क़ि  किसी के  भी धर्म के खिलाफ किसी दूसरे को गलत शब्द बोलना निंदनीय है   ऐसे समय में धार्मिक भावनाओं पर आक्रोश गुस्सा  होना स्वाभाविक  है ) लेकिन प्रशासन द्वारा  जब इस नामके लड़के द्वारा अभद्र टिप्पड़ी करने पर  पुलिस ने कानूनन बनती करवाई कर उसको जेल में दाल दिया तो सान्ति के साथ मिल बैठकर निपटना हितकर होता।     

  यह मामला दो तीन दिन पहले उस वक्त शुरू हुआ जब एक अस्थानीय अमित शाह नामक युवक ने फेस बुक पर मोहम्मद साहेब पर टिपण्णी कर दी जिससे इस समुदाय के लोग भड़क गए।  पूर्व नगर अध्यक्ष  ओबैदुर रहमान की शिकायत पर पुलिस थाने में भारतीय दंड सहिंता की धारा  प्रोद्यौगिकी धारा 66 A, 295  के तहत मुक़दमा दर्ज कर अमित शाह को अरेस्ट कर जेल भेज दिया। लेकिन ? बात और अपनी ?  ओबैदुर रहमान की शाह पर और लोगों के  कामिल जमाइल कोरौलीखुर्द  ने पुलिस को रासुका लगाने की मांग पुलिस अधिकारीयों ने कहा की हमने कानूनन बनती करवाई कर दोषी को जेल भेज दिया है। शरारती उपद्रवकरता  एक सुन्योजित तरीके  से  26    27  अप्रैल को तोड़फोड़ पथरबाज़ी , हल्ला बोल  हमला  आगजनी कर इलाके के संभ्रांत हिन्दू नेता पर कातिलाना हमला कर  दंगा भड़काने की कोशिश। बाद में पुलिस ने निसार अहमद , सर्किल सदबाज़ ,आदिम हनीफ  व पूर्व नगर अध्यक्ष  ओबैदुर रेहमान सहित  दर्जनों लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में दाल चुकी है  कामिल जमाइल  सहित लगभग 2  दर्ज़न  के लगभग  फरार हैं , पुलिस इन्हे भी बिरफ्तार करने में लगी है। 
 कुदरती बात की इन घटना के दूसरे दिन ही  राष्ट्रिय अपराध विरोधी गुप्तचर मीडिया के  डायरेक्टर मैनेजिंग एडीटर डॉ. भारत   जिनका संबंध कार्य  देश की आंतरिक सुरक्षा से भी जुड़ा है  .   सरायमीर आगये थे  ने दूसरे दिन नगर अध्यक्ष  रामप्रकाश यादव के साथ थाना सरायमीर के थानाध्यक्ष      ( इंचार्ज ) रामनरेश यादव के साथ थाने  में मुलाकात कर  पूरी जानकारी ली.       यहाँ पर थानाध्यक्ष  ने बताया की  हमारे पास पर्याप्त फाॅर्स के साथ स्वचालित हथियार  और  AK 47     AK 56    303  SLR  आधुनिक हथियार थे  पथराव  से  SDM, C.O,   कई पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे।  थानाध्यक्ष ने पूरी जानकारी देते हुए आगे बताया कि  हमने मानवता का परिचय देते हुए गोली चलने का आदेश तक नहीं दिया , क्यों की गोली चलती तो न जाने कितने लोग मौत के मुँह में चले जाते और इस कसबे का क्या हाल होता खुद अंदाजा लगा सकते हैं, जिसके लिए अस्थानीय थानाध्यक्ष  रामनरेश यादव  की सूझबूझ की तारीफ  करना जरुरी है।   
          बादमे  पांच मई को सरायमीर थाने (पुलिस स्टेशन  ) में पीस कमेटी शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए हिन्दू मुस्लिम की विशेष बैठक का आयोजन किया गया जिसमे अस्थानीय हिन्दू मुस्लिम सभी लोग शामिल हुए। साथ ही नव नियुक्त  जिला पुलिस कप्तान ( SSP)  व अन्य अधिकारी भी शामिल होकर  अपने अपने विचार व्यक्त किये , मुख्यता जोर इसी बात का था की यहाँ के लोग मिलजुल कर रहे और यहाँ पर   शांति व्यवस्थ कायम रहे।  

Saturday 19 May 2018

पंजाब में नशे रुपी जहर को मिलजुल कर रोका जा सकता है।

सामाजिक बुराइयों के खिलाफ़ विशेष बैठक हुयी । 
 F.I.B.:- Media Inteligence Service  
 
 जबतक समाज के अग्रणीय व सामाजिक संगठन खुलकर पुलिस प्रशासन का सहयोग नहीं करतीं तबतक समाज में फैली नशे रूपी कोढ़ कैंसर जैसी तबाही वाली वस्तुओं और अन्य बुराई को नहीं ख़त्म किया जा सकता  अकेले पुलिस के बस की बात नहीं जो समाज में फैली इन बुराइयों को ख़त्म  कर सके।  
        लुधियाना  :  18 मई > फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो  न्यूज़ :>  वही देश समाज तरक्की कर आगे बढ़ कर शक्तिशाली हो सकता है जिस देश के नागरिक अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए  असामाजिक तत्वों और बुराइयों के खिलाफ दृढ़ता से खड़े होकर मुकाबला कर जड़ से उखाड फेकने में सक्षम हों।  यह जाहिर  हो चूका है की कुछ तथाकथित राजनीतिक और कुछ भ्र्ष्ट नौकरशाहियों की वजह से हर तरह के अपराध जहाँ बढ़ते जा रहे हैं वहीँ कैंसर कोढ़ रूपी नशीले वस्तुवें  चिट्टा , ब्राउनशुगर , सिन्थेटिक , हैरोइन जैसी घातक ड्रग्स ने समाज को विकृति और खोखला कर दिया है। 
       इन्ही सब बातों को लेकर  राष्ट्र हित में काम करने वाला  गुप्तचर मीडिया संगठन  (  F.I.B. फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो ) के मुख्य कार्यालय   जो लुधियाना के सिविल लाइन्स क्षेत्र में है के कार्यालय में  पंजाब मार्केटिंग मुलाजिम जत्थेबंदी के अकाउंटेंट सुपरिंटेंडेंट सुरजीत सिंह जोहल ( जालंधर ) पंजाब एलेक्ट्रसिटी बोर्ड़ रोपड़ से जूनियर इंजीनियर दर्शन सिंह , पंजाब  सरकार सेवा  के पूर्व अधिकारी  हरजीत सिंह मरिंडा रोपड़ ,   आनंदपुर साहिब से पंजाब बिजली बोर्ड के रि. अधिकारी दर्शन सिंह  व बलजिंदर सिंह संधू  ने ब्यूरो के डायरेक्टर = अध्यक्ष  डॉ.  भारत से विशेष मुलाक़ात  कर  जहाँ देश समाज में ब्याप्त बुराइयों को रोकने और संगठन द्वारा राष्ट्र हित में किये जारहे कार्यों को सहयोग करने का बचनबद्ध हुए।  

Thursday 17 May 2018

मनुवादी विचारधारा वाले लोगों पर सरकार सख्त कदम उठाये

अब वक्त आगया है कि सरकार देशविरोधी ताकतों से सख्ती के साथ निपटे, राष्ट्र हित में जरुरी। 
 Viay Goel : - First Investigation Bureau  Media Service 
यह जरुरी हो गया है कि देश कि आन्तरिक सुरक्षा के को ध्यान में रखते हुए  भारत सरकार के साथ देश के राष्ट्र भक्त लोग भी सरकार  और सुरक्षा बल को पूरा सहयोग करें।  

        राष्ट्रिय अपराध व्  नशा विरोधी गुप्तचर मीडिया सर्विस ( फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो ) F.I.B. ऍफ़ आई बी  की विशेष बैठक  मुख्य कार्यालय न्यू कुंदन पूरी  सिविल लाइन्स में  ब्यूरो के डायरेक्टर डॉक्टर भारत कि अध्यक्षता में हुयी , बैठक में जहाँ देश कि मौजूदा हालात के खतरे  पर विचार व्यक्त कर भारत सरकार को अगाह किया गया कि राष्ट्र कि आन्तरिक सुरक्षा में सरकार द्वारा लापरवाही हो चुकी है।  क्यों कि  कुछ तथाकथित मनुवादी विचारधारा के लोगों से सावधान रहना जरुरी हो गया है, क्योंकि ऐसी विचारधारा के लोग देश कि मौजूदा शक्तिशाली  दलित वर्ग को भड़काने कि कोशिश कर रहे हैं , दूसरी तरफ  दलित समाज कि बढ़ती शक्ति संगठनों में  कुछ देश विरोधी शक्तियां घुस गयी हैं  जो विदेशी शक्तियों के इशारे पर  देश में साम्प्रदायिकता फैलाकर देश कि ताकत को कमजोर करने कि फ़िराक में हैं , यह भी विचार किया गया कि  संगठन के कार्यों को तीब्र गति से आगे बढाकर अपराधो कि रोकथाम में पुलिस प्रशासन का सहयोग करें , साथ ही यह निर्णय लिया गया कि  देश कि आन्तरिक सुरक्षा कि रिपोर्ट को केन्द्रीय सरकार के साथ राज्य सरकार को भी दी जाये , क्यों कि नए ग्रुप  नई जातिवाद  साम्प्रदायिकता मसले गंभीर लग रहे है जिसके लिए जरुरी है कि पुलिस के अलावा मीडिया और राष्ट्र हित में काम करने वाले सामजिक संगठनों कि जिम्मेदारियां बढ़ गई है , अब वक्त अगया है कि राष्ट्र कि भलाई के लिए  हर नागरिक आपने कर्तब्यों का पालन कर एक सैनिक कि भूमिका निभाए।  बैठक में डॉ. भारत के अलावा ओंकार सिंह पूरी , रतन चन्द , सोनू शर्मा , रेक्टर कथूरिया , हरजीत सिंह राजू  मौजूद थे ,       फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो  राष्ट हित  में  आम नागरिकों से अपील करती है की यह हर सच्चे नागरिक का फ़र्ज़ है की देश समाज की भलाई के लिए हर नागरिक अपने कर्तब्यों का पालन कर राष्ट्र हित के सभी कार्यों में सरकार का सहयोग भी करें।