Monday, 1 April 2019

मरते समय होने वाले 9 अनुभव और अहसास | 9 Near death experiences Hindi

z
 Life After Death and Death after Life 
Dr.Bharat F.I.B. आध्यात्मिक ज्ञान सेवा 
फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो  अपने सदस्यों एंव पाठकों और सुभ चिंतकों को राष्ट्र और समाज हित की जानकारियों से अवगत करता रहेगा।  बाकि के जानकारी इसी में आगे  के  लेख द्वारा मिलेगी। 
    
          
  मानव जीवन और मृत्यु को जानने समझने के लिए यह जरुरी है की हम या हमारा अस्तित्व क्या है क्यों की इस मानव शरीर में पुरे का पूरा अखिल ब्रह्माण्ड सूक्ष्म रूप में समाया है।  इस छोटे से शरीर के अंदर प्रकृति  की आंतरिक शक्तियां उतना ही गूढ़ रहष्यात्मक शक्तियों से भरी हैं जीतना  जटिल यह प्रकृति ईश्वर द्वारा रचित  अखिल ब्रह्माण्ड। हमारे छण भंगुर जीवन में मानव उतना ही जान पाता है जितना वह देखता सुनता है। मानव  अपनी आँखों से इस दुनियां को इस सूरज चाँद तारे को देखकर अचंभित होता है की ब्रह्माण्ड कितना विशाल है क्या इसका कहीं  अंत भी है या अनंत की गहराइयों में कल्पना करता सोचता है  क्या है ?  जब की हमारी पृथ्वी का धरातल क्षेत्र फल ही 51 ,00 ,66 ,100  वर्ग किलोमीटर है।  हमारे सौर्य मंडल का सूर्य इतना बड़ा है की 14  लाख पृथ्वी समां सकती है  , जबकि इस ब्रह्माण्ड में हमारे सूर्य से करोड़ों अरबों गुना बड़े सूर्य तारे इस ब्रह्माण्ड में मौजूद हैं ? ऐसे में हमरी क्या औकात होगी यानि की एक सूक्ष्तम सूक्ष्म अनु परमाणु जितनी है। इस सात अरब आकाश गंगा के एक आकाशगंगा के दक्षिणी छोर पर हमारा सौर मंडल का प्रमुख सूर्य हमारी पृथ्वी को लेकर चल रहा है , हमतो एक सूक्ष्तम सूक्ष्म अणु परमाणु जितने है , लेकिन ईश्वर प्रकृति ने इस छोटे से जीव प्राणी मानव में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति भर दी है  फर्क इतना है की इस शक्ति को एक विधि विधान द्वारा ही कोई विरला महान मानव ही जान पाता  है। अब आती  है बात मृत्यु की तो यह पृथ्वी एक कर्म भूमि मृत्यु लोक के रूप में जानी  जाती है , शरीर से प्राण जीव आत्मा जब निकलती है इससे पहले मानव अंदर से मूर्छित बिहोश हो जाता है इस लिए मृत्यु के बाद वह महा सुन्न  में विलीन हो जाता जैसे जल भाप के रूप में विलीन होकर समुन्द्र में मिल जाती है , लेकिन जिन लोगों को मृत्यु के समय प्राण निकलते समय होश रहता है वहीमानव  दूसरे जन्म में अपने पिछले जीवन की स्मृतियाँ  का ज्ञान रहता है जब वह उन स्मृतियों यादों को कहता ,बताता है तब उसको कौतुहल होता है इसी को  जिसे हम पुनर्जन्म कहते हैं।    , .          
      जीवन मृत्यु जन्म मरण  पुनर्जन्म  ? प्रकृति के इस राज रहश्य को जानने के लिए साधक अपने मन बुद्धि के बल पर कुछ ज्ञान पूर्वक साधनावों का सहारा लेकर मानवीय काया और ब्रह्माण्ड के राज रहश्य का जाना समझा है ,ऐसे में (यहाँ यह लिखना  जरुरी है की हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ,इसाई , बौद्ध , जैन  यह सब पंथ हैं , धर्म तो  प्रकृति सनातन धर्म है )   लोग किसी जाती धर्म पोंगा दिखावे से दूर अपनी आंतरिक शक्तियों के साधना ध्यान  द्वारा अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत कर इस ब्रह्माण्ड इस ईश्वरी शक्ति के क्रिया कलापों को जान पता हैं , ऐसे ही साधक पूर्ण मानव को हम महान पुरषों ,महात्मा संत साधक योगी या भगवान् के रूप में जानते हैं  । आप में भी यही सब है बस आप अपने आपको जाने और ????? 
       

No comments:

Post a Comment