पहले सेठ साहूकार , राजे रजवाड़े , दबंगों ने लुटा , अब बैंको के जरिये गरीबों को सरेआम लूट रही सरकार ? गरीब जाये तो जाये कहाँ?
Dr. Bharat : > First Inestigation Bureau ( F.I.B.) Media Intelligence Service
सिर्फ पिछले 10 महीनों में ही बैंकों ने 4989. 55 करोड़ यानि कि 50 अरब के करीब रुपये गरीबों के न्यूनतम खाते से जुर्माने से कमाए ?
यह इस देश के गरीबों के साथ तुगलकी अत्याचार है , भारत सरकार के वित् मंत्रालय के दिशानिर्देश पर रिज़र्व बैंक के अंडर सभी बैंको द्वारा पहले तो खाता खुलवाया गया गरीब जो सौ दो चार सौ दिहाड़ी कमाकर अपने परिवार को रूखी सुखी खिलाकर पालता था ऐसे में किसी तरह हज़ार दो हज़ार बैंक में जमा कर खता खुवाया की सायद 15 लाख तक सरकार कहने के मुताबिक मिले ? लेकिन न खुदा ही मिला न विशाले सनम , न इधर के रहे न उधर के रहे ( दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम ) शायर की कलम से > दिलशाद था की फूल खिलेंगे बहार में मारा गया गरीब इसी एतबार में।
अभी कुछ दिन पहले मीडिया द्वारा जो जानकारी मिली की बैंकों द्वारा खाली खाते से जुर्माने के रूप में 4989. 55 करोड़ रूपये मुनाफा कमाया सरकार के दिशानिर्देश पर यह स्कीम बैंकों ने 1 अक्टूबर 2017 से लागु की थी।
अब सवाल यही है की अमीर धनाढ्य पूंजीपतियों का खाता कभी खाली न्यूनतम नहीं होता है बैंक में जब भी खाता न्यूनतम खाली होगा तो सिर्फ गरीबों का ही खाता खाली होगा क्यों कि गरीब आदमी को बिमारी , मुकदमा ,शादी - विवाह , अकस्मात कोई मुशीबत में पैसे निकालकर खर्च करे तो बैंक उसके ऊपर जुर्माने के तौर पर दण्डित करे ? क्या यही सिस्टम व्यवस्था नियम है हमारे देश का कहाँ तक उचित है यह सब। दुःख की बात है जो सरकार सबकुछ जानते हुए देश की जनता को झूठे वादे झूठी तसल्ली देकर बे मौत मारने पर तुली है। क्या सरकार के पीछे सलाहकार के रूप में कुछ देश विरोधी शक्तियां तो नहीं सक्रीय है? राष्ट्र हित में इसकी भी छानबीन होनी चाहिए की ऐसी कौन सी शक्तियां हैं जो देश में दंगे फसाद अफरा तफरी मचाना चाहती है ताकि देश कमजोर होकर जर्जर हो जाये ?। राष्ट्र हित में भारत सरकार के जिम्मेदार मंत्री नेतागणों को इसपर गहराई से विचार कर अविलम्ब सार्थक कदम उठाना होगा क्योंकि देश विरोधी देशी विदेशी शक्तियां मौका पाते ही अपने घिनौने काम से बाज़ नहीं आने वाली हैं।
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