निजी स्कूलों की मनमानी से छात्रों का भविष्य अंधकारमय , अभिभावक अपना दुखड़ा किसे सुनाएँ
आजकल शिक्षा के नाम पर हर मोहल्ले में स्कूलों की भरमार है , ऐसे स्कूल नियम कानून का कितना पालन करते है सब एक छलावा ही है। संबंधित विभाग जानकर भी अनजान अगर कोई फरियाद भी करता है तो अधिकारी कुम्भकर्णी नीद में मस्त।
लुधियाना: 31 जुलाई 2017( FIB :⇒ Media ) जिससे निजी स्कूलों के खिलाफ जन आक्रोश लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आज मामला सामने आया क्लब रोड पर स्थित गुप्ता मॉडल हाई स्कूल का। यहाँ पढ़ते बच्चों के अभिभावकों ने मीडिया को बताया कि उन्हें स्कूल छोड़ने के बावजूद स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट नहीं दिया जा रहा। कई महीनो से कई कई चक्कर लगाने के बाद भी सर्टिफिकेट के बदले उनसे छह छह महीनों की फीस मांगी जा रही है। एक अभिभावक महिला ने बताया कि एक बच्चे की महीने की फीस 675/- रूपये बनती है। छह महीनों की इतनी बड़ी रकम 4,050/- वे नहीं दे सकते। किताबें भी स्कूल के अंदर से ही खरीदनी पड़ती हैं और वे भी बाजार से कहीं महंगी। जब भी बात करो तो स्कूल के संचालक इशारों से ही चक्र देते हैं और क्यूंकि मूक बधिर होने के कारण ये लोग बोल कर नहीं सकते। इस मकसद के लिए किसी रिसेप्शनिस्ट या पीआरओ को भी नियुक्त नहीं किया गया। आखिर जब दोनों पार्टियां पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस ने स्कूल में आ कर समझौता करवाया। अब अभिभावकों को अगले दिन आने को कहा गया है वो भी केवल एक महीने की फीस के साथ। अब देखना यह है कि इस पर सचमुच अम्ल होता है या बात को लटकाने के लिए इसे केवल बहाना बनाया जाता है। गौरतलब है कि कभी इस स्कूल का बहुत नाम हुआ करता था लेकिन स्कूल संस्थापक सुरेंद्र गुप्ता का देहांत होने के बाद इस स्कूल का प्रभाव लगातार कम होता गया।स्कूल में तैनात नए और अनसुलझे स्टाफ की वजह से शिक्षा देने का स्तर दिनों पर दिन गिरता ही जा रहा है।
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