चुस्त दरुस्त दिखने की होड़ , पश्चिमी सभ्यता का जोर, नेट मोबाईल पर अश्लीलता की भरमार टूटते पारिवारिक परवरिश, जैसे हालात ज्यादा जिम्मेदार।
Dr. Bharat :-> Director - F.I.B. Media Intelligence
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आजकल महिलाओं बच्चियों पर हो रही ज्यादती मानसिक , शारीरिक उत्पीड़न , बलात्कार जैसे मुद्देपर पुरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन पुरे देश में बढ़ रहे व्यभिचार के लिए कौन से लोग , कौन सी प्रस्थिति , हाळात जिम्मेदार है ? इसपर हमें गहराई से मंथन करना जरुरी है खाली भाषण बाज़ी , चीखने चिल्लाने से न तो कुछ हुआ है और नाही भविष्य में कुछ होनेवाला है।
यह भी एक सत्य है की चाहे प्रिवेट विभाग हों , सरकारी विभाग हो या देश के किसी साधारण मेहनत मजदूरी खेत खलिहान से लेकर हाई सोसाइटी नौकरी हर क्षेत्र महिलाओं के साथ 90 प्रतिशत महिला कर्मियों के साथ भेद भाव , मानशिक शारीरिक उत्पीड़न होना आम बात हो गयी है।
हरेक क्षेत्र सिविलियन माने जाते हैं लेकिन देश में कानून व्यवस्था को बनाये रखने ,व्यवस्था को सुधारने, अपराधियों पकड़कर अपराधी गतविधयों को रोकना सुरक्षा वयवस्था देखना इत्यादि , लेकिन पुलिस विभाग में एक क्या अनेकानेक बुराइयां आगयी हैं , अधिकतर अनुशासन की धज्जियाँ उड़ाकर मखौल बना दिया गया है , सेक्सुअल हराशमेंट नैतिकता के सारे बंधन तोड़ते हुए तमाम तरह के अनैतिक कार्य किये जा रहे है , यहाँ तक की पुलिस डिपार्टमेंट में पुरुषों के साथ काम करने वाली स्टाफ महिलाओं से दुर्बोहार और उनका यौन शोषण तक शामिल है। यह बात किसी आमपब्लिक या प्रेस रिपोर्टर की रिपोर्ट नहीं है यह खुद एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी इंस्पेक्टर जनरल गुरप्रीत देओ जैसे महिला पुलिस अफसर का है। महिला दिवस के मौकेपर लुधियाना में आई.जी. (प्रोविजनिंग ) तथा यौन शोषण के मामलों सम्बंधित आंतरिक शिकायत कमेटी की पमुख की हैशियत से राज्य अस्त्रीय पुलिस कॉन्फरन्स में जोर देकर कही।अगर सही मायने में देखा जाये तो देखनेपर यही हॉल पुरे देश का है।खुद महिला पुलिस का ऐसा भी बयां आते हैं की अधिकतर मामलों में शिकायत पर पुलिस के अधिकारी कुछ नहीं सुनते। डांट और दबाव धमकी ऊपर से मिलती है। ऐसी बात नहीं है कुछ मामलों में दृढ़ता के साथ सामना करने वाली महिला की शिकायत पर कभी करवाई भी होती है। फाजिल्का पंजाब के एक डी एस पी DSP. भटिंडा के ए इस आई ASI, जैसे कइयों पर छेड़ छड़ यौन उत्पीड़न की जाँच व् विभागीय करवाई भी चल रही है।
इन सबके लिए कई कारण है। > राजनीतिकों के चोचले, राजनीतक हस्तक्षेप, गन्दी राजनीत , पुलिस उच्च अधिकारीयों की हिटलरशाही , शोषण दबाव , नौकरी की धमकी , प्रमोशन की लालच छोकरी नौकरी , पारिवारिक मजबूरियां , जैसे , ब्लैकमेल , खुद की मज़बूरी जैसे कई कारन लेकिन आधे से ज्यादा खुद महिला कर्मी जिमीदार है की आ बैल मुझे मार।
जबतक धार्मिक सामाजिक संगठन , और शासन प्रशासन के जिम्मेदार लोग अपने कर्तब्य अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं निभाते तबतक समाज में फैले ब्यभिचार की गंदगी न तो कम होगी और नहीं कभी ख़तम ही होगी इन सब में उन सभी नौजवान लड़कियों महिलाओं को भी भारतीय नारी , झाँसी की रानी , चंडिका का रूप रौद्र दिखाना और वैसे ही अमल करना अपने आपको साबित करना समय की मांग है , अगर फैशन में मस्त होकर शारीरिक प्रदर्शन उत्तेजना पूर्वक कर्म व्योहार होगा तो कैसे रुक > सकता है ? ?+?????
जबतक धार्मिक सामाजिक संगठन , और शासन प्रशासन के जिम्मेदार लोग अपने कर्तब्य अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं निभाते तबतक समाज में फैले ब्यभिचार की गंदगी न तो कम होगी और नहीं कभी ख़तम ही होगी इन सब में उन सभी नौजवान लड़कियों महिलाओं को भी भारतीय नारी , झाँसी की रानी , चंडिका का रूप रौद्र दिखाना और वैसे ही अमल करना अपने आपको साबित करना समय की मांग है , अगर फैशन में मस्त होकर शारीरिक प्रदर्शन उत्तेजना पूर्वक कर्म व्योहार होगा तो कैसे रुक > सकता है ? ?+?????
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