राजीव गाँधी को भुलाने की साज़िश के पीछे कौन?
लुधियाना: 21 मई 2017: (डाक्टर भारत//FIB मीडिया)::
देश के लिए कुर्बान होने वाले लोगों की गरिमा उनकी जिस्मानी मौत के बाद कभी कम नहीं होती। दुःख की बात है कि देश ने जिस तरह से शहीद राजीव गाँधी की पुण्यतिथि को नज़रअंदाज़ किया है वह राजनीति में आ रही गिरावट को ही दर्शा रहा है। आज अगर हम नेट और कम्प्यूटर की सुविधाओं का फायदा उठाते हुए 21वीं सदी में सर उठा कर चल रहे हैं वो सब राजीव गाँधी की ही बदौलत है। आज हमें याद आ रहा है जब उनके शहीद होने की खबर आई तो कलम के एक सिपाही पत्रकार ने दो शब्द कहे थे:
हज़ारों तोहमतें उस पर लगीं मगर,
उसका कसूर यह था कि वो बेक़सूर था।
हज़ारों तोहमतें उस पर लगीं मगर,
उसका कसूर यह था कि वो बेक़सूर था।
पायलट के हवाई आकाश को छोड़ कर राजनीति में आए राजीव गांधी के प्रशंसकों ने कभी सपने में नहीं सोचा होगा कि आतंकवादी हमले में हुई हत्या के बाद उनकी पार्टी कांग्रेस धीरे धीरे भुला देगी। बेशक देश में कांग्रेस की सत्ता नहीं है लेकिन पंजाब में तो है। इसके बावजूद राजीव गाँधी की स्मृति में लुधियाना में कोई बड़ा कार्यक्रम होने की जानकारी नहीं मिली।
इंटक के दिनेश सुंदरियाल इस संबंध में एक आयोजन अवश्य किया लेकिन इसकी जानकारी भी कार्यक्रम होने के बाद दी गयी। इसमें भी इंटक के बहुत से कार्यकर्ता और नेता नज़र नहीं आए। कुछ अन्य संगठनों ने भी इसी तरह अलग अलग आयोजन किये।
इस आयोजन के ज़रिये कांग्रेस समर्थक मज़दूर संगठन इंटक ने आज समराला चौक स्थित डॉ प्रदीप अग्रवाल के कार्यालय में श्री राजीव गांधी जी को श्रदांजलि दी। डॉ अग्रवाल ने कहा कि रजीव गांधी विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र भारत के एकमात्र ऐसे युवा प्रधानमन्त्री थे, जिनकी उदार सोच, स्वप्नदर्शी व्यापक दृष्टि ने भारतवर्ष को एक नयी ऊर्जा और एक नयी शक्ति दी कि देश को विश्व के अन्य उन्नत राष्ट्रों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देने वाले सबसे कम उम्र के वे ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने इक्कीसवीं सदी का स्वप्न देते हुए भारत को वैज्ञानिक दिशा दी। इंटक के महिला विंग की अध्यक्षा अनीता शर्मा ने कहा कि आज भी श्री राजीव गांधी हम में हैं। इस मौके पर इंटक टीम के अन्य लोगों ने भी अपने महबूब नेता को श्रद्धांजलि दी। इंटक के राज्य उप प्रधान जोगिन्दर सिंह टाइगर, स्टेट जनरल सेक्टरी फिरोज मास्टर,शिव चरण थापर कोर मेंबर, विकास गुप्ता, राजीव शर्मा, अशोक बंसल ,रविंदर कौर थापर, विशाल पराशर, संजीव जोल्ली, अशवनी शर्मा और अन्य सदस्य भी शामिल थे। अब देखना यह है कि सत्ता के बावजूद नया नेता पैदा किये बिना पुराने नेताओं को भूलने की यह सोच कांग्रेस को किस अंजाम की तरफ ले जाएगी? अगर यही सब होता रहा तो गुटबंदियों और व्यक्तिगत रंजिशों में उलझी कांग्रेस शायद सत्ता का लाभ उठा कर भी खुद को मज़बूत न कर सके।
सत्ता के बावजूद 21 मई को कांग्रेस नहीं कर सकी कोई बड़ा आयोजन
सत्ता के बावजूद 21 मई को कांग्रेस नहीं कर सकी कोई बड़ा आयोजन
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