Sunday, 14 May 2017

अब भी न सम्भले तो बिगड़ सकती है स्थिति

FIB के डा. भारत ने दी गंभीर परिणामों की चेतावनी 
जब तक आतंकवाद  नक्सलवाद   को बढ़ाने वाले राजनितिक नेताओ पर करवाई नहीं होगी तबतक न तो देश आतंकवाद से मुक्त और  न ही देशवाशी  सुरक्षित  होंगे ।  
    यह भारत देश का और देशवाशिओ का दुर्भाग्य  ही है की  कश्मीर  से लेकर  कन्याकुमारी  और असाम  से लेकर  गुजरात कच्छ  तक  कही  साम्प्रदायिक , कही  जातिवाद , कही नक्सलवाद , पापाचार , अत्याचार , कही खतरनाक  रूप में  और अंदर ही अंदर  भयानक  रूप  में  पनप  रहे  आतंकवादी  और   विदेशी  आतंकवाद को कौन  बढ़ा रहा है  ?  जाहिर है की इन सब को बढ़ाने में देश के तथाकथित  राजनितिक  नेता  जिम्मेदार  है  और  दंड  देश की पुलिस  सेना और  गरीब  और  अपना हक़  मांगने वालों को भुगतना  पड  रहा है।    
       विगत दिनों देश के गृह मंत्री  राजनाथ सिंह ने देश के काफी मुख्यमंत्रियों और सुरक्षा व अधिकारिओ के साथ विशेष बैठक करके देश की आन्तरिक सुरक्षा के खतरों के गंभीरता  के साथ  आतंकवाद  नक्सलवाद को रोकने के लिए अनेक प्रस्ताव रखे। 
           
        अक्सर  आये  दिन मीडिया में ऐसी खबरे बराबर सोचने को मजबूर कर देती हैं की इन सब का दोषी कौन ?,  कभी सुचना आती है की सुरक्षा  बलो ने छोटी उम्र की लडकियो के साथ बलात्कार किए , कभी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया  अगर परिवार  का कोई पुरुष रोकने  और आवाज़ उठाने की कोशिश  की तो उसे नक्सली बताकर गोली मार कर उसकी हत्या कर दी  ?   स्थानीय  लोगों   की जमीन जंगल घर  सब कुछ  हड़पने का काला धन्धा  चल रहा है? माफिया पुजीपतिओं  के आगे सब शांत  भू माफिया और राजनीतिको की मिलीभगत  और सड़ीगली राजनीत  के दबाव में सुरक्षा  बल  एक तरफ मजबूर  दूसरी तरफ अपनी मनमर्जी  तानासाही  वगैरह वगैरह। 
                  मीडिया   और सामाजिक   कार्यकरता  परदे के पीछे की हकीकत  सामने लाने  की कोशिश हिमाकत करते है तो उन्हें भी नक्सली आतंकवादी बताकर गोली मरकर हत्या कर दी जाती  है की बहुत बडा  आतंवादी मारा गया ?    लाजमी है की जिस राज्य में इस तरह की हरकते होंगी तो उस राज्य की जनता बगावत पर उतारू होकर अपने हक़ के लिए अपने बचाव  के लिए जैसी भी शक्ति होगी अपनी सुरक्षा  के लिए उस शक्ति के मुताबिक प्रतिकार मुकाबला तो करेगी ही। जब स्थानीय लोग ऐसा करते है तो  राजनीतिक   नेता आतंकवाद नक्सलवाद  का आरोप लगाकर फोंर्स सुरक्षा  बलो को तथाकथित आदेश देते है की यह   सब देश द्रोही है सबको गोली मर दो। और सुरछा बल मजबूर होकर उन बेकसूरों को गोली चला कर मौत के घाट उतार  देते है            
 सबसे बडा  सवाल यह है की स्टेट सरकारे से लेकर केंद्रीय सरकारे क्यों नक्सलवाद आतंकवाद को बढ़ने बढ़ाने दिया।  लाज़मी है की राजनीत के तथाकथित नेता गण अपना स्वार्थ हित के लिए  एक तरफ पुलिस सुरक्षा  बलों को दूसरी तरफ देश देशवाशिओं को धोखे में रख कर की देश खतरे में है का नारा देकर बेकसूरों के खून से  देश की धरती लाल कर रहे है। ऐसे में जेल अधिकारी वर्षा डोंगरे  और माननीय जज प्रभाकर ग्वाल  की हकीकत पूर्ण बयान  और कार्य को देखा जा सकता है। 
     अब वक़्त आ गया है की देश के जिम्मेदार और प्रधानमंत्री जी को नक्सलवाद  आतंकवाद पर गंभीरता से दूरगामी परिणाम को देखते हुए स्थानीय लोगो की मुलभुत समस्याओ  को हल कर राजनीत  तिकड़म से ऊपर उठकर कार्य करे तभी  आंतरिक सुरक्षा  मजबूत होगी वरना  देश को ईरान ,इराक ,सीरिया ,अफगानिस्तान पाकिस्तान  जैसे हालत भुगतते हुए गुजरना पड़ेगा तब बहुत देर हो चुकी होगी ?   

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