देश को ऐसे ही जाबांज लोग बदल सकते हैं
Dr. Bharat ;- First Investigation Bureau F I B, Media Service

महिला कलेक्टर ने तमाममशहूर स्कूल छोड़कर अपनी बच्ची का एडमिशन आंगनबाड़ी में कराकर एक इतिहास रचा। शरुआत बहुत अच्छी है फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो F I B. भारत सरकार के सभी अधिकारीयों से अनुरोध करती है की शिल्पा प्रभाकर के रास्ते का अनुशरण करे। क्योंकि अगर हमें देश समाज हित के भलाई के लिए अगर कुछ सार्थक कदम उठाना पड़े तो हमें यह कदम उठाना ही चाहिए , इसके लिए अगर संविधान में संशोधन भी करा पड़े तो हमें संशोधन कर लेना ही चाहिए।
: कहते हैं की बदल कर रंग से तस्वीर बदल देते है , कुछ लोगों से एक लाइन भी नहीं बदलती , मगर बदलने वाले तो तकदीर बदल देते हैं। इस बात को चरितार्थ और सत्य साबित करने वाली भारतीय प्रशासनिक सेवा IAS अधिकारी शिल्पा प्रभाकर सतीश ने अगुआई करके दिखा दिया इनके इस जज्बात को अनेकानेक मीडिया ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर अपना दायित्य पूरा किया ।
मीडिया एजेंसी : तमिलनाडु में एक जगह है तिरुनेलवेली. राजधानी चेन्नई से रात भर की दूरी है. वहां की डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर हैं शिल्पा प्रभाकर सतीश. उस जिले की पहली महिला कलेक्टर भी हैं. 2009 बैच की IAS अफसर हैं. लेकिन इनके बारे में खास बात ये नहीं है. ख़ास बात ये है कि इन्होंने एक बहुत बड़ा स्टीरियोटाइप तोड़ा है.
इनकी बेटी किसी प्राइवेट स्कूल में नहीं बल्कि आंगनबाड़ी में जाती है. आंगनबाड़ी सरकारी स्कूल हैं जहां बच्चों की पढाई लिखी होती है. खाने पीने को भी मिलता है. आम तौर पर ये इमेज होती है लोगों के मन में कि जो लोग प्राइवेट स्कूल अफोर्ड नहीं कर सकते, वही अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजते हैं. लेकिन शिल्पा इससे हटकर सोचती हैं. पीटीआई को दिए हुए एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलकर ये कहा:
‘हम सरकारी लोग ही तो आंगनबाड़ियों को प्रोमोट करते हैं न. हमारी आंगनबाड़ियों में हर तरह की सुविधा है. मेरी बेटी लोगों से मिलती और खेलती है. तिरुनेलवेली में हजारों की संख्या में आंगनबाड़ियां हैं. सबमें अच्छे टीचर हैं जो बच्चों का ध्यान रखने के काबिल हैं. हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा है, और खेलने के सामान भी हैं. ये बच्चों कि विकास के लिए ऐसी जगह है जहां सब कुछ है. न्यूट्रीशनल डेवेलपमेंट सेंटर हैं ये’.

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