डॉ . भीमराव अम्बेडकर किसी एक जाति के लिए नहीं पुरे भारत वर्ष के प्रेरणा दायक , श्रद्धा के पात्र हैं।
Dr. Bharat : Director F.I.B. Media Intelligence
क्या आज़ाद भारत के लिए जिस संविधान का निर्माण हुआ देश के लोग उसका कितना पालन कर रहे हैं ?
नेता से लेकर अभिनेता तक , स्वाभिमान से लेकर ईमान तक , धर्मनीतिग्य से लेकर राजनीतिग्य तक , संतरी से लेकर मंत्री तक , शासन लेकर प्रशासन तक , ग्राम सभा से लेकर विधानसभा तक, राजयसभा से लेकर लोकसभा तक , न्याय मंत्री से लेकर न्यायलय तक हर तरफ संविधान की धज्जियाँ उड़ रही है। और हम लोग जातिवाद , नक्सलवाद , सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद , बड़ी जाती से लेकर छोटी जाति तक नफरतवाद के चक्कर में खुद अपना घर अपना वतन का बेड़ागर्क कर रहे हैं, तो क्या हम अपने आपको एक इस देश का सच्चा नागरिक सच्चे देश भक्त कहलाने के हकदार हैं ? याद रखें देश सलामत है तो आप और आपका परिवार आपका धर्म सलामत है। वर्ना प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरुरत नहीं होती , ईरान , इराक ,सीरिया , जार्डन ,अफगानिस्तान जैसे मुल्कों को देख कर शिक्षा ले वार्ना कहावत प्रसिद्ध है की धोबी का..... न घर का न घाट का ? इतनी वक्त न हिंदू धर्म खतरे में है , न मुस्लिम धर्म खतरे मै है , न सिख न ईसाई खतरे में है अगर खतरे में है तो अपना वतन भारत देश खतरे में है।
लुधियाना : प्रस्तुति > ह्रदय राम - FIB Media : मौजूदा समय में भारत देश का क्षेत्र फल लगभग 32 लाख 87 हजार 265 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। विश्व का 2.42 प्रतिशत जमीनी हिस्सा है और विश्व का सातवां बड़ा देश है। भारत में 49 हजार से ज्यादा पेड़ पौधों और 81 हजार 251 जानवरों की प्रजातियां पेयी जाती हैं।
क्या आज़ाद भारत के लिए जिस संविधान का निर्माण हुआ देश के लोग उसका कितना पालन कर रहे हैं ?
नेता से लेकर अभिनेता तक , स्वाभिमान से लेकर ईमान तक , धर्मनीतिग्य से लेकर राजनीतिग्य तक , संतरी से लेकर मंत्री तक , शासन लेकर प्रशासन तक , ग्राम सभा से लेकर विधानसभा तक, राजयसभा से लेकर लोकसभा तक , न्याय मंत्री से लेकर न्यायलय तक हर तरफ संविधान की धज्जियाँ उड़ रही है। और हम लोग जातिवाद , नक्सलवाद , सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद , बड़ी जाती से लेकर छोटी जाति तक नफरतवाद के चक्कर में खुद अपना घर अपना वतन का बेड़ागर्क कर रहे हैं, तो क्या हम अपने आपको एक इस देश का सच्चा नागरिक सच्चे देश भक्त कहलाने के हकदार हैं ? याद रखें देश सलामत है तो आप और आपका परिवार आपका धर्म सलामत है। वर्ना प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरुरत नहीं होती , ईरान , इराक ,सीरिया , जार्डन ,अफगानिस्तान जैसे मुल्कों को देख कर शिक्षा ले वार्ना कहावत प्रसिद्ध है की धोबी का..... न घर का न घाट का ? इतनी वक्त न हिंदू धर्म खतरे में है , न मुस्लिम धर्म खतरे मै है , न सिख न ईसाई खतरे में है अगर खतरे में है तो अपना वतन भारत देश खतरे में है।
लुधियाना : प्रस्तुति > ह्रदय राम - FIB Media : मौजूदा समय में भारत देश का क्षेत्र फल लगभग 32 लाख 87 हजार 265 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। विश्व का 2.42 प्रतिशत जमीनी हिस्सा है और विश्व का सातवां बड़ा देश है। भारत में 49 हजार से ज्यादा पेड़ पौधों और 81 हजार 251 जानवरों की प्रजातियां पेयी जाती हैं।
जिस संविधान के छत्र छाया में हम रहते हैं उसकी जानकारी जिसे हर भारतीय नागरिक को जानना जरुरी है।
1 : भारतीय संविधान के लिए पहली संवैधानिक सभा की बैठक 9 दिसम्बर 1946 को हुयी थी।
2 : भारतीय संविधान का अधिनियम 1947 में लागू किया गया। 3 : राष्ट्रीय झंडे को 22 -07 - 1947 को हुयी संवैधानिक सभा में स्वकृति प्रदान की गयी।
4 : यह जाहिर है की भारतीय संविधान के निर्माण में डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी का उल्लेखनीय योगदान है।
5 : 1947 में देश के विभाजन के बाद संविधान सभा प्रभुत्व संम्पन
हो गयी जिसके अध्यक्ष डाक्टर राजेंदर प्रसाद जी थे।
6 : भारत की जनता की तरफ से 26 जनवरी 1947 के समय भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक संविधान कोको स्वविकार किया और 26 जनवरी 1950 को लागु किया गया।
7 : भारत के संविधान के निर्माण ( पूरा करने )में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था ।
8 : भारत के संविधान को 22 भागों व 12 अनसूचियों बाटा गया।
9 : संविधान को तैयार करने में प्रथम संवैधानिक सभा के अध्यक्ष डाक्टर राजेंदर प्रसाद को नियुक्त किया गया था।
10 : बाद में संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीम राव आंबेडकर जी को नियुक्त किया गया।
11 : संविधान को पूर्ण करने में देश के कोने कोने से 381 विद्वान् प्रतिनिधियों ने अपना बहुमूल्य योग्यदान दिया है।
12 : याद रखने योग्य जो जरुरी है > भारतीय संसदीय शासन प्रणाली ब्रिटिश ली गयी , मौलिक अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका से , नीति - निदेशक तत्व आयरलैंड से , संघवाद ,प्रस्तावना ,भाषा ऑस्ट्रेलिया से , आपातकाल में अधिकारों स्थगन जर्मनी से , गणतंत्र की स्थापना फ्रांस से , और संविधान संसोधन की प्रणाली दक्षिण अफ्रीका से ली गयी , इस प्रकार विदेशी कानून से लिया सहयोग से तब हमारा भारत का संविधान पूर्ण हुआ। हमें डॉ. भीम राव आंबेडकर जी के साथ साथ देश के उन 381 विद्वानों का भी सम्मान करना चाहिए जिन लोगों ने रातदिन अथक प्रयास कर संविधान को पूर्ण करने में अपना योगदान दिया।
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