Thursday, 5 April 2018

हक़ मांगना ,हक़ के लिए लड़ना हर मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है।

  सुप्रीम कोर्ट के एस.सी. -एस.टी.फैसले के विरूद्ध दलित समाज का भारत बंद एक चेतावनी या कुछ  और। 
Dr.Bharat :> First Investigation Bureau:- Intelligence Media Service
       
 सुप्रीम कोर्ट के फैसलेके विरुद्ध दलित समाज का भारत बंद का ब्यापक असर हुआ , लेकिन इस बंद कराने के दौरान जहाँ  कुछ शरारती तत्वों ने उग्र रूप दिखाने की भी कोशिश की वहीँ  इस बंद को कुछ देश विरोधी तत्वों ने तोड़फोड़ आगजनी हत्या जैसे मामले को भड़का कर माहौल को साम्प्रदायिक रंग भी देना  चाहा। 
          पंजाब का बंद शांति से हुआ  यहाँ के आन्दोलनकर्ताओ ने  अपने आपको शिक्षित सौभ्य प्रमाणित भी कर दिया।  लेकिन  देश के कुछ अन्य भागों में कुछ शरारती तत्वों ने इसे साम्प्र्दायिक रंग  देने की कोशिश भी की  ऐसे खुरापपत करने वाले लोग यह भूल गए की देश  अपना और देश की सम्पति अपनी है, और वे जिनकी मौते हुयी हैं उनके परिवार की दुःख तकलीफ कठिनाई कौन देखेगा , कौन समझेगा और सबसे बड़ा सवाल यह है की इन हत्याओं का कौन जिम्मेदार है । 
      यहाँ पर यह भी लिखना जरुरी समझते हैं की अपना हक़ पाने के लिए आंदोलन करना गुनाह नहीं है जब शक्तिशाली लोग निम्न दलित को हद से ज्यादा दबाने की कोशिश करेंगे तो विद्रोह का कौन जिम्मेदार होगा ?, दूसरी जो बाते सत्य कड़वी एंव ऐतिहासिक तर्कपूर्ण की कसौटी पर खरी  हैं। ऐ बातें हैं  हमारे देश में जो  मुस्लिम  भाइयों की आबादी किसी मुस्लिम देश से कम नहीं है  ए सब बाहर से आकर नहीं बसे हैं यह सब लोग  और इनके पूर्वज यहीं के मूल निवासी हैं। इनके पूर्वजों परिवारों  को जब हदसे ज्यादा दबाया गया , छुआछूत के नामपर तिरस्कार किया गया (और अन्य बड़ी जाती के सौभ्य लोग भी मजबूर होकर  )तब मजबूर होकर अधिकतर लोग मुस्लिम धर्म अपनाने को मजबूर होगये  इन सबका कौन सा तबका जिम्मेदार है ? ज्यादा नहीं अभी अंग्रेजों का शासन 70 साल पहले ख़त्म हुआ अंग्रेजी हकूमत ने जब देखा की मनुवादी विचारधारा के कुछ तबके यहाँ के मूल निवासी जो ईमादार  मेहनतकश हैं इन्हे जाती के नामपर , इनका शोषण किया जा रहा है , जानवर से भी ज्यादा उत्पीड़न किया जा रहा है। अंग्रेजों ने मानवता के नाते बहुत से ऐसे कठोर नियम बनाकर इन्हे भी आजादी से जीने का औसर दिया। लेकिन अंग्रेजों ने भी इन समाज के निम्न लोगों का फायदा उठा कर इन्हे क्रिश्चन धर्म में अपनाना शुरू कर दिया , (और आज भी छुआछूत के नाम से दुखी लोग)  और जो आज करोड़ों लोगों की आबादी क्रिश्चन लोगों की है ये लोग नतो ब्रिटेन इंग्लैंड , फ्रांस या विदेश से नहीं आये हैं ऐ सबलोग यहीं के मूल निवासी हैं इन्हे किश्चन बनाने के लिए किसने मजबूर किया क्या मनुवादी विचारधारा के लोग इसका जवाब दे सकेंगे?  याद रखें भारत देश जब जब भी गुलाम कमजोर हुआ है ऐसे ही कुछ सनकी राजे रजवाड़े के अहंकार घमंड और बेवकुफ़ीओं की वजह से ही हुआ है अब भी वक्त है मिलजुलकर  आपसी भाई चारे के साथ उसी तरह रहो जैसे होली के त्यौहार में एकदूसरे के गले मिलकर रहते मानते हैं । 
          बाकी दूसरी तरफ यहाँ पर बहुत ही गंभीर बातों को  हम कुछ सत्य कड़वी और हकीकत बातों को उजागर करना भी चाहेंगे , डॉ. भीम राव आंबेडकर जी ने कुछ शिक्षा पूर्ण बाते की थीं  या आप उनका उपदेश समझ सकते हैं>  शिक्षित बनो , ( ज्ञान अर्जित करो )  संगठित रहो (  आमिर गरीब सब साथी एक बनकर रहो ) संघर्ष करो ( अपनी कठिनाइयों अपनी रुकावटों  से संघर्ष करो ) एक बनो , नेक बनो , मानवता की क्या पहचान मानव मानव एक सामान।  ऐसे ही कई बाते  गूढ़ रहश्य भरी बाते बाबा भीम राव अंबेडकर जी ने कही हैं , तो क्या हम उनके बताये हुए सही मार्ग पर चल रहे हैं। 
       त्रिकाल दर्शी महाऋषि भगवन वाल्मीकि जी , महात्मा भगवन बौद्ध जी , महर्षि वेदव्यास जी , सिख गुरु रामदास जी , भक्त श्रिरोमणि रविदास जी , भक्त कबीरदास  जी,  जैसे  अन्य महात्मा लोग अपनी भक्ति से शक्ति प्राप्त कर अमर हुए न की किसी राजनीति के जंजाल में फसकर महान  हुए ? 
       हिन्दू , मुस्लिम, सिख ,ईसाई, बौद्ध , सभी लोग  मानवता इंसानियत को आगे रख कर ख़ुशी ख़ुशी जिए क्यों की भारत  प्रजातंत्र राष्ट्र  देश है सभी को आज़ादी से जीने का हक़ है। यह भी सत्य है की आजकल की सड़ीगली बदबूदार राजनीति को ऊपर से धर्म के नामपर , जाती के नामपर , तथाकथित नेता  अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं देश वासियों को इन मतलबी फरेबी स्वार्थी नेताओं के  सड़ीगली राजनीतिको से दूर रहकर अपनी कौम को बचाये। 
      जय हिन्द 
   
          

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