चीन द्वारा कोरोना वायरस खुद मानव और प्रकृति का दंड है जिसे तो भुगतना ही पड़ेगा।
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डाक्टर भारत आध्यात्मिक चिंतक WARDC,
Dr.Bharat First Investigation Bureau अध्यात्म विज्ञान WARDCdo
(जनहित में दुबारा प्रसारित ) मानव जीव और उसकी खुराक खान पान आज के मानव को यह समझना ही पड़ेगा की वह अन्य प्राणियों से अलग है ईश्वर प्रकृति ने उसे अलग क्यों बनाया है और उसका रहन सहन खान पान कैसा होना चाहिए। वरना भयंकर परिणाम के लिए तैयार रहे।
इस खबर को पिछले महीने 9 फ़रवरी को प्रसारित की गई थी। आज करोना वायरस का डर ने पूरी दुनियां में हड़कम मचाया हुआ है , कहीं खबर मिल रही है की इस वायरस का जिक्र 40 साल पहले लिखित किताब में किया गया , कहीं खबर आरही है की चीन ने जैविक रासायनिक युद्ध में प्रयोग किये गए जाने वाले प्रयोग से वायु मंडल में फ़ैल गए ?उसी का परिणाम ? यानि तरह की बातों की अफवाह सुनी जा रही है जिनमे कुछ सत्य भी हैं , कारण जो भी हो चाहे यह प्राकृतिक प्राक्रोप हो या मानव की गलती की सजा दण्ड हो इतनी वक्त हमें जो भी हो सके अपने आपको अपने परिवार को , अपने पड़ोसी को इस आपदा से बचाने का प्रयास कर एक दूसरे को सहयोग करना चाहिए। आगे अपनी सफाई का पूरा ख्याल रखते हुए कुछ नहीं तो फिटकरी से ही हाथ की सफाई कर सुद्ध करले , चार पत्ते तुलसी चार पत्ते नीम का रोज़ इस्तेमाल करें साथ ही अपनी खुराक में हल्दी की मात्रा भी बढ़ा लें , साथ ही कपूर को सूंघे और उसे घर में जलाएं भी , साथ ही वायु मंडल को शुद्ध रखने के लिए आंम की लकड़ी के साथ हवन सामग्री को घर में जलाने से वायु मंडल कीटाणु रहित होकर साफ़ हो जाता है साथ ही स्वास्थय विभाग के आदेश का भी पालन करें इत्यादि इत्यादि।
प्राचीन विज्ञानं , अध्यात्म विज्ञानं ने प्रकृति ईश्वर के द्वारा उत्पन्न नाना अनेकानेक जीव , प्राणियों को इस पृथ्वी पर उत्पन्न किया जिसे मानव को समझने समझाने के लिए प्राचीन विज्ञानं , अध्यात्म विज्ञानं महान वैज्ञानिकों ने प्रकृति के 84 लाख जीवों -प्राणियों को चार भागों विभाजित किया है। जिसे अण्डज ,पिण्डज , स्थावर ,उखमज नाम से सम्बोधित किया। जिसमे इस दो पैर दो हाथ वाले प्राणी को मानव - मनुष्य प्राणी को सर्वश्रेष्ठ की संज्ञा दी क्यों की इसी जीव प्राणी को प्रकृति ईश्वर ने मन रूपी एक वह शक्ति दी है जो अन्य प्राणियों को नहीं है , इसी लिए इस प्राणी को मानव मनुष्य नाम से सम्बोधित कर एक पहचान बनी ईश्वर ने हर प्राणी को अलग अलग खान पान की व्यवस्था की. मानव व शाकाहारी प्राणियों के नाख़ून और दांत चिपटा चौकोर बनाया , जैसे मानव मनुष्य, गाय बैल , भैस , बकरी , सूअर , ऊंट इत्यादि जो अपने भोजन को चबा चबा कर खाते हैं , और शाकाहारी प्राणी पानी को मुंह में खींच कर पीते हैं ,,, जबकि मांसाहारी प्राणी के नाख़ून दाँत नुकीले होते हैं और ऐसे जीव प्राणी अपनी खुराक को दांत से नोच नोचकर निगल जाते हैं ऐसे जीव प्राणी पानी को जीभ से चभर चभर कर पीते हैं। यहाँ यह लिखना भी जरुरी है की मानव को छोड़ कर अन्य जीव प्राणी प्रकृति के हिसाब से जीते हैं इस लिए उसे भोग योनि के नाम से कहा गया है , लेकिन मानव कर्म योनि कहा गया है और मानव अपने स्वार्थ अपने जुबान के स्वाद के लिए वह कार्य करने लगा जो मानव के लिए है ही नहीं अपने स्वार्थ अपनी जीभ के स्वाद के लिए जानवर से भी गया गुजरा अप्रकृति तौर करने लगा। नीचे के फेसबुक में शिव पुराण की वीडिओ में चाइना के लोगों द्वारा राक्षसी शैतानी जानवर जैसे भोजन खाने की जानकारी दी गयी है जिसे आप देखकर समझ सकते हैं। https://www.facebook .com/shivpuraan/vide os/1040964322945422/ ?sfnsn=wiwspwa&extid =cYtu5IcvUKuzYP32&d= w&vh=e
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आगे मानव ने जहाँ अपनी बुद्धि विवेक ज्ञान से बहुत तरक्की कर अपने लिए हर सुख सुविधाएँ अर्जित कर सर्वश्रेष्ठ होने का प्रमाण दिया , वहीँ प्रकृति के खिलाफ जाकर अन्य जीव जानवर प्राणी लेकिन और मानव अपने स्वार्थ अपने जुबान के स्वाद के लिए वह कार्य करने लगा जो मानव के लिए है ही नहीं अपने स्वार्थ अपनी जीभ के स्वाद के लिए जानवर से भी गया गुजरा अप्रकृति तौर करने लगा।
लाजमी हैं जब मनुष्य एक राक्षस ,एक शैतान और जानवर से भी गिरा आचरण खान पान करेगा तो उसे तो भुगतना ही पड़ेगा। यहाँ यह भी लिखना समय की मांग है की जो परमाणित सत्य है जब जब मानव ने वैज्ञानिकी तौर पर तरक्की की है तब तब अपनी गलती या किसी सरफिरे की गलती से कितनी ही मानवीय सभ्यता नष्ट हुई है। आगे हम यही कहना चाहते हैं की सात्विक विचार ,सात्विक भोजन के साथ जीना शुरू करे और प्रकृति के नियमानुसार जीना सीखे
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